किसान आंदोलन से हरियाणा में हलचल, दुष्यंत ने की राजनाथ से मुलाकात

नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरुद्ध किसानों का आंदोलन 17वें दिन भी जारी है। हरियाणा में भाजपा की सहयोगी जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता दुष्यंत चौटाला ने आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के मध्य किसानों के मुद्दे एवं मौजूदा वक्त चल रहे आंदोलन को सुलझाने पर चर्चा हुई।

दोनों नेताओं के मध्य यह मीटिंग इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है कि सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को किसान संगठनों की ओर से खारिज किए जाने के पश्चात अभी दोनों तरफ से बातचीत का दौर ठहरा हुआ है। भारत सरकार की ओर से बने तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध पिछले 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के किसान आंदोलित है।

दिल्ली सीमा पर किसानों का आंदोलन जारी है। बता दें कि दुष्यंत चौटाला की पार्टी का हरियाणा के किसानों के मध्य अच्छा जनाधार माना जाता है। उनकी पार्टी के कुछ विधायक किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। दुष्यंत चौटाला पूर्व में बोल चुके हैं कि किसानों की एमएसपी पर वह किसी भी तरह का खतरा नहीं आने देंगे। यदि किसानों की एमएसपी प्रभावित हुई तो वह उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे।

इससे पूर्व किसान संगठनों ने दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की चेतावनी दी है। पंजाब एवं हरियाणा सहित दिल्ली हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा पर शनिवार को विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कब्जा कर लिया है। उन्होंने यहां से गुजर रहे वाहनों को बिना कोई शुल्क दिए गुजरने दिया।

हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर के गृहनगर करनाल में किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग -44 पर बस्तरा टोल प्लाजा तथा करनाल-जींद राष्ट्रीय राजमार्ग 709-ए पर पिऑन्ट टोल प्लाजा को बंद कर दिया है।

किसी भी अप्रिय वारदात को रोकने हेतु दोनों राज्यों में पुलिस तैनात की गई है। किसानों ने आधी रात से ही बस्तरा टोल प्लाजा को बंद कर किया है एवं यात्रियों को बिना शुल्क दिए यहां से जाने दिया जा रहा हैं। वहीं, पिऑन्ट टोल प्लाजा को सवेरे से शुल्क मुक्त कर दिया गया।

उल्लेखनीय है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध हजारों किसान पिछले कई दिनों से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। वे नए कृषि कानूनों को वापस लेने एवं फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे किसानों का दावा है कि ये कानून उद्योग जगत को लाभ पहुंचाने हेतु लाए गए हैं और इनसे मंडी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।

किसान संगठनों की अपनी मांगों को लेकर सरकार संग 5 दौर की वार्ता हो चुकी है, परन्तु बात नहीं बन पाई है। तोमर के मुताबिक, केंद्र सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है और उनकी मांगों के मद्देनजर सरकार संग उनके प्रतिनिधियों से चर्चा चल रही है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ”किसानों की आपत्ति पर निराकरण का प्रस्ताव भी किसान यूनियन को भेजा गया है तथा आगे भी सरकार चर्चा हेतु राजी है।”

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