सुप्रीम कोर्ट में याचिका-फर्जी आश्रम और बाबाओं से 170 महिलाओं की आजादी की गुहार

नई दिल्ली (नेटवर्क 10 संवाददाता ) :  देशभर में फर्ज़ी बाबाओं (Fake Saints in India) के 17 आश्रम और अखाड़ों में महिलाओं से संबंधित आपराधिक गतिविधियों (Crime Against Woman) के आरोपों को लेकर एक युवती के पिता ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की है. साथी ही याचिका में इन आश्रम व अखाड़ों में रह रही महिलाओं के बीच कोरोना महामारी (Coronvirus Pandemic) फैलने के ख़तरे को लेकर भी कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट इस याचिका को सुनने के लिए तैयार हो गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका की कॉपी केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल को देने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट 2 हफ्ते बाद इस मामले की सुनवाई करेगा.

सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका तेलंगाना निवासी एक पिता ने दाखिल की है. इसमें कहा है कि जुलाई 2015 में उनकी बेटी विदेश से डाक्टरी की उच्च शिक्षा की पढ़ाई करके आई थी, जो कि दिल्ली में एक फ़र्ज़ी बाबा विरेंद्र दीक्षित के चुंगल में फंस गई. पिछले पांच सालों से वह इस बाबा के दिल्ली के रोहिणी इलाक़े में बने आश्रम आध्यात्मिक विद्यालय में रह रही है. ये बाबा बलात्कार के आरोप में तीन साल से फ़रार चल रहा है.

याचिका में यह भी कहा गया है कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देशभर में 17 आश्रम व अखाड़े को फ़र्ज़ी करार दिया है, जिनमें ज़्यादातर अवैध निर्माण वाली बिल्डिंग में चल रहे हैं. यहां रहने लायक़ बेसिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं. इनमें लड़कियां और महिलाएं रह रही हैं, जिनकी हालत जेल के क़ैदियों से भी बदतर है.

कोरोना संकट काल में इन आश्रम और अखाड़े में कोरोना फैलने का ख़तरा बना हुआ है, इसलिए यहां रह रही लड़कियों और महिलाओं को इन आश्रम व अखाड़ों से सुरक्षित बाहर निकाला जाए. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के रोहिणी इलाक़े में बने आश्रम आध्यात्मिक विद्यालय को ख़ाली करवाया जाए. इस आश्रम में रह रही याचिकाकर्ता की बेटी व अन्य 170 महिलाओं को आश्रम से मुक्त करवाया जाए.

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