उत्तराखंड: सरकार बॉर्डर पर खनन वाहनों का ये रेला तो देखो…

विकासनगर से सतपाल धानिया की रिपोर्ट
-अन्तर्राज्यीय बॉर्डर कुल्हाल पर लगी खनन के वाहनो की लंबी कतारें
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस क़ा संक्रमण ना फैले इसे रोकने के लिऐ सरकार ने सभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट और वाहनो क़ो पूर्णतया बंद कर दिया था लेकिन ट्रांसपोर्ट बंद होने से बहुत बड़ा तबका भुखमरी की कगार पर आ गया। गाड़ियों के पहिये थमने से वाहन स्वामियों व चालकों के सामने भारी आर्थिक संकट खड़ा हो गया था। सरकार ने आर्थिक संकट से उबारने के लिऐ प्रदेश में खनन व्यवसाय क़ो मंजूरी दी है लेकिन ना ही तो कोई नीति है सरकार के पास और ना ही कोई व्यवस्था की गयी है।

 

अंतर्राज्यीय बॉर्डर कुल्हाल पर तीन दिनो से पाँच सौ से अधिक खनन की ढुलाई करने वाले वाहन फंसे हुए है।जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम के हालात बने हुए है और बाहरी राज्यो से वापस घर आ रहे प्रवासियों क़ो कठिनाइयों क़ा सामना करना पड़ रहा है पुलिस द्बारा कड़ी मेहनत कर यातायात व्यवस्था क़ो सुचारू करने के लिऐ पसीना बहाना पड़ रहा है।

हिमाचल उत्तराखंड के अंतर्राज्यीय बॉर्डर कुल्हाल पर वर्तमान में पाँच सौ से अधिक खनन की ढुलाई करने वाले वाहन फंसे हुए हैं जो हिमाचल से खनन सामग्री भरकर उत्तराखंड में लाते हैं। खनन के वाहनो क़ो सुचारू रूप से संचालित करने के लिऐ हिमाचल और उत्तराखंड की सरकार ने कोई ठोस रणनीति तैयार नहीं की है जिस वजह से वाहन चालक तीन दिन से हिमाचल में प्रवेश नही कर पाए।

हिमाचल सरकार के द्बारा एक दिन में महज 75 वाहनो  को हीमाचल में प्रवेश की अनुमति दी है जिस वजह से कुल्हाल बॉर्डर पर खनन के वाहनो की लंबी लाइनें लगी हुयी हैैं। तीन दिन से वाहनो के बॉर्डर पर फंसे होने के चलते ड्राइवरों और कंडक्टरों क़ो भूखा रहना पड़ रहा है ढाबे और रेस्टोरेंट बंद होने के चलते चालकों व परिचालकों क़ो भूखे पेट ही सोने क़ो मजबूर होना पड़ रहा है। इनके लिऐ बॉर्डर पर किसी भी तरह क़ा इंतजाम नही किया गया है तो वही बॉर्डर पर एक साथ अलग अलग शहरो और गांवो के हजारो चालकों परिचालकों के इकट्ठा होने से संक्रमण फैलने क़ा खतरा भी बना हुआ है। हजारो चालक परिचालक खुले में ही शौच कर रहे है। किसी भी चालक परिचालक के स्वास्थ्य परीक्षण की भी कोई व्यवस्था नही है।

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड दोनों राज्यो में भाजपा की सरकार है जब दोनों प्रदेशो में खनन खोलना था और एक दूसरे राज्य में खनन के वाहनो की आवाजाही होनी थी तो पहले दोनों राज्यो क़ो ठोस रणनीति बनानी चाहिऐ थी।लेकिन कुल्हाल बॉर्डर पर जो अव्यवस्था देखी जा रही है उसे देखकर तो यही लगता है कि बिना होमवर्क किये दोनों प्रदेशो की सरकारो ने बिना किसी तैयारी के खनन करने की अनुमति दी है। कह सकते है कि दोनों प्रदेशो की सरकारो में आपसी सामंजस्य की कमी है अगर दोनों प्रदेशो की सरकारे खनन की अनुमति देने से पहले एक ठोस रणनीति बना लेते तो शायद आज यह हालात पैदा ना होते।

अंतर्राज्यीय बॉर्डर कुल्हाल से रोजाना सात सौ से अधिक प्रवासी पंजाब हरियाणा हिमाचल जम्मू कश्मीर आदि राज्यो से उत्तराखंड अपने घरों क़ो जा रहे है। वापस आने वाले प्रवासियों की जांच व पता लगाने क़ा जिम्मा पुलिस के पास ही है। कुल्हाल पुलिस चैक पोस्ट पर पुलिस स्टाफ भी सीमित ही है ऐसे में पुलिस कोरोना वायरस के संक्रमण क़ो फैलने से रोके वापस आ रहे प्रवासियों की जिम्मेदारी संभाले या खनन के वाहनो की आवाजाही सुचारू करे। यह एक बड़ा सवाल है क्योंकि बॉर्डर पर सैकड़ों वाहन फंसने से जाम जैसे हालात बने हुए है। ऐसे में बॉर्डर पर भारी भीड़ बढ़ने से हालात भी बिगड़ सकते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *