बाजपुर: काला गेहूं कभी देखा है क्या? अगर नहीं देखा यहां तस्वीर में देख लीजिए। ये काला गेहूं विकसित कर दिया गया है और अब इसकी पैदावार होने लगी है। उत्तराखंड में भी काला गेहूं अच्छा पैदा हो रहा है। ये गेहूं उच्च गुणवत्ता का है और इसमें असंख्य आयुर्वेदिक गुण हैं जो कई बीमारियों को भगाता है।
सात सालों की रिसर्च के बाद इस गेहूं की फसल तैयार की गई है। गेहूं की इस नई किस्म को पंजाब के मोहाली स्थित नेशनल एग्रीफूड बायोटेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट (नाबी) ने विकसित किया है। नाबी के पास इसका पेटेंट भी है। इस गेहूं की खास बात यह है कि इसका रंग काला है। इसके बारे में दावा किया जा रहा है कि इस गेहूं में कैंसर, डायबिटीज, तनाव, दिल की बीमारी और मोटापे जैसी बीमारियों से लडऩे की क्षमता है। बाजपुर के प्रगतिशील किसान संजय चौधरी ने उत्तराखंड में इस का पहला ट्रायल किया है जो सफल रहा हैै। अव यह काम अनेक और किसान करने जा रहे हैं । अभी तक पंजाव मध्य प्रदेश, हिमाचल, हरियाणा में इसकी विजाई का ट्रायल हुआ है ।
कृषि में नए-नए प्रयोग करने में तराई पूरे भारत में जाना जाता है। उत्तराखंड के ऊधमसिंहनगर जिले के दोराहा बाजपुर के पास स्थित ग्राम शिकारपुर में सजंय चौधरी का अपना फार्म हाउस है। उन्होंने बतौर ट्रायल एक बीघा काला गेहू बोया था जिसमें उनकी उपज पांच क्विंटल 20 किलो आई है। इन अनुपात में प्रति एकड़ यह तीस क्विंटल से अधिक होगी जबकि साधारण गेंहू 20 से 22 क्विंटल ही निकल पाती है। ऐसे में जहां पैदावार अधिक है वहीं इसकी कीमत भी लगभग दोगुनी है। ऐसे में किसान की आमदनी दो गुनी करने के लिए यह बेहतर प्रयास है।
उन्होंने बताया कि शुरू में इसकी बालियां भी आम गेहूं जैसी हरी होती हैं, पकने पर दानों का रंग काला हो जाता है। उनकी जानकारी के अनुसार एक टीवी चैनल के जरिए उनको इसकी जानकारी मिली थी जिसमें नाबी की साइंटिस्ट और काले गेहूं की प्रोजेक्ट हेड डॉ. मोनिका गर्ग ने बताया था कि नाबी ने काले के अलावा नीले और जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है। शोध में पाया गया है कि इस गेंहू के तमाम चिकित्सकीय गुण भी है ।