उत्तरकाशी (नेटवर्क 10 संवाददता)। कोरोना काल में प्रदेश की सरकार दूसरे प्रदेशों से उत्तराखंड वासियों को तमाम कोशिशें कर के गांवों की तरफ ला रही है लेकिन पहाड़ के गांवों में इन लोगों का स्वागत की बजाए विरोध हो रहा है। गांवों में पहले से रह रहे लोग गांव लौटने वाले लोगों का विरोध कर रहे हैं। इन लोगों को आशंका है कि कहीं बाहर से आने वाले लोगों की वजह से गांव में संक्रमण न फैल जाए।
प्रदेश के सीमांत जनपद उत्तरकाशी के गांवों से ऐसे मामले लगातार आ रहे हैं। गांव के सामाजिक ताने-बाने के कारण खुलकर कोई ग्रामीणों इनका विरोध नहीं कर रहा है। प्रधानों के पास ग्रामीणों ने अपनी शिकायतें दर्ज की है। उत्तरकाशी के मसाल गांव में वर्तमान में 11 लोग पंचायत क्वारंटाइन हैं। मसाल गांव के प्रधान खेमराज कहते हैं कि बाहर से आने वाले लोगों का विरोध नहीं, बल्कि यह ग्रामीणों की जागरूकता है। जो इस गंभीर महामारी के प्रति सतर्क हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि जो भी व्यक्ति जनपद के बाहर से आ रहा है उसे 14 दिन तक फैसिलिटी क्वारंटाइन किया जाए। प्रधान कहते हैं कि इस संबंध में वे प्रशासन को पत्र भेज रहे हैं। गांव में पंचायत क्वारंटाइन और स्वास्थ्य सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है। बाहर से आने वाले लोगों को फैसिलिटी क्वारंटाइन किया जाए।
मातली गांव की प्रधान बबिता जोशी बताती हैं कि बिना व्यवस्थाओं के प्रशासन ने छह लोगों को गांव भेजा। वे चुपचाप होम क्वारंटाइन हुए। ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तथा गांव से बाहर क्वारंटाइन करने की मांग की। किसी तरह उन्होंने ग्रामीणों को समझा। चार लोगों को पंचायत क्वारंटाइन किया।
दो लोग पंचायत क्वारंटाइन के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। उनकी शिकायत प्रशासन का कर दी है। डुंडा ब्लाक के बडेथी की प्रधान रामप्यारी कहती है कि बाहर से सीधे गांव आने वाले लोगों का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं। गर्भवती महिलाओं को होम क्वारंटाइन करने के लिए उन्होंने समझाया। गांव में 7 लोग क्वारंटाइन हैं तथा 3 लोग स्कूल में क्वारंटाइन किए हुए हैं। बाहर राज्यों से लौटकर सीधे गांव में पहुंचने से ग्रामीणों में भय का माहौल है।