देहरादून: उत्तराखंड बोर्ड की इंटर मीडिएट की परीक्षा कोरोना के कारण स्थगित है। बदले हालातों में पर7क्षा किस तरह होगी और क्या इसका पैटर्न होगा इसको लेकर महकमे में मंथन जारी है। माना जा रहा है कि इसका पैटर्न सीबीएसई के अनुसार ही बनाया जाएगा। राज्य बोर्ड के छात्रों के भविष्य को देखते हुए सरकार सीबीएसई से अलग राह पर नहीं चलना चाहती। हालांकि,केंद्र के रुख को देखते हुए प्रतियोगी परीक्षाओं की तर्ज पर बहुविकल्पीय पद्धति (एमसीक्यू) पर भी होमवर्क शुरू कर दिया गया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में परीक्षा के पैटर्न पर चर्चा की गई। मालूम हो कि केंद्र सरकार ने राज्यों को दो विकल्प दिए हैं। इसमें पहला परपरांगत शैली में लिखित परीक्षा है। जबकि दूसरा विकल्प बहुविकल्पीय प्रश्न शैली का है।
परंपरागत शैली में मूल्यांकन की प्रक्रिया तो जरूर लंबी होगी लेकिन परिषद उसकी पूरी तैयारी कर चुकी है। स्वकेंद्र परीक्षा और सोशल डिस्टेंसिंग के मानक को पूरा करने के लिए करीब 1800 परीक्षा केंद्रों की जरूरत होगी। इस वक्त 1300 से कुछ ही ज्यादा केंद्र चिह्नित हैं। दूसरी तरफ, बहुविकल्पीय पद्धति में परीक्षा भी महज 90 मिनट की होगी और उसके बाद मूल्यांकन में बहुत ही कम समय लगेगा। शिक्षा मंत्री ने शिक्षा सचिव को कहा कि वो इस संबंध में शिक्षा परिषद के अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श कर लें।
शिक्षा सचिव ने बताया कि परीक्षा पर अंतिम निर्णय लेने से पहले सीबीएसई की परीक्षा पैटर्न तय होने का भी इंतजार किया जाएगा। भविष्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में राज्य बोर्ड के छात्रों के हित में यही होगा कि सीबीएसई के पैटर्न से भिन्नता न हो। बैठक में परीक्षा से पहले शिक्षक और छात्रों के वैक्सीनेशन का मुद्दा भी उठा। शिक्षा मंत्री ने कहा कि इस विषय पर भी वो सीएम से वार्ता करेंगे। बैठक में शिक्षा निदेशक वंदना गरब्याल, एडी रामकृष्ण उनियाल, जेडी भूपेंद्र सिंह नेगी आदि मौजूद रहे।
परीक्षा जून अंत तक या फिर सितंबर में!
बोर्ड परीक्षाओं के समय को लेकर भी स्थिति साफ नहीं है। शिक्षा सचिव ने बताया कि मानसून सीजन में उत्तराखंड में परीक्षाएं कराना छात्रों की सुरक्षा की दृष्टि से उचित नहीं है। या तो परीक्षा जून अंत तक हो जाएं या फिर उन्हें सितंबर तक बढ़ाया जाना होगा। सीबीएसई परीक्षाओं को लेकर भी राज्य अपना मंतव्य इसी प्रकार भेज रहा है।
” सरकार के लिए छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। लेकिन छात्रों के भविष्य के लिए परीक्षा का होना भी जरूरी है। सरकार केंद्र के दिशानिर्देश के अनुसार परीक्षाएं कराने को तैयार हैं। आज की बैठक में कई अहम बिंदुओं पर चर्चा की गई है। जल्द ही राज्य अपना अंतिम सुझाव केंद्र सरकार को दे देगा। राज्य में भी परीक्षा केस्वरूप पर भी जल्द तस्वीर साफ हो जाएगी।
अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री ”