देहरादून: मजदूरों और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ गुरुवार को देशभर में ट्रेड यूनियन ने धरना-प्रदर्शन किया. उत्तराखंड में इसका असर देखने को मिला. प्रदेश के अलग-अलग शहरों में संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले विभिन्न संगठनों में धरना- प्रदर्शन किया. राजधानी देहरादून के गांधी पार्क में संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले कई संगठनों से केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने गांधी पार्क से घंटाघर तक मार्च निकालकर मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया.
इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने कहा कि पीएम मोदी के कार्यकाल में अभीतक करीब 12 करोड़ से अधिक श्रमिक बेरोजगार हो गए हैं. इस सरकार ने प्रदेश को आत्मनिर्भर और स्वावलंबी बनाने वाले दोनों वर्ग जिसमें किसान और मजदूर शामिल है उसका गला घोटने का काम किया है. बीजेपी सरकार ने किसान विरोधी बिल बिना चर्चा के बहुमत के आधार पर पास करा लिया. इतन ही नहीं मजदूरों के रक्षा कवच 44 कानूनों में भारी बदलाव किया है. मोदी सरकार के शासनकाल में ही किसानों की ऐतिहासिक आत्महत्याओं का रिकॉर्ड बना है. केंद्र व राज्य सरकारों की गलत नीतियों के विरोध में संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा केंद्र से लेकर राज्यों तक समय-समय पर धरने प्रदर्शन करता आया है. लेकिन अनेक प्रयासों के बाद भी श्रमिक संगठनों को वार्ता का समय नहीं दिया गया. इससे प्रतीत होता है कि केंद्र व राज्य की भाजपा सरकार ने श्रमिक जगत का घोर अपमान किया है.
संयुक्त ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति की केंद्र सरकार से मांगे-
- श्रमिकों के हितों के विपरीत श्रम कानूनों में जो 44 बदलाव किए गए है उन्हें तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए.
- सरकारी कर्मचारियों के एक वर्ष तक के महंगाई भत्ते पर लगी रोक हटाई जाए.
- सभी सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारियों की बंद की गई पुरानी पेंशन को बहाल किया जाए.
- भारत देश को स्वावलंबी बनाने वाली सरकारी व सार्वजनिक उपक्रमों जैसे हवाई अड्डे, रेलवे, कोलइंडिया, बैंक, बीएसएनएल पोरबंदर, रक्षा कारखाने आदि को बेचने की कार्रवाई तुरंत बंद की जाए.
- कोविड-19 महामारी के अंतराल में लगभग कई करोड़ लोग बेरोजगार हुए और 1.5 करोड़ लोग नोटबंदी की गलत नीति के कारण बेरोजगार होकर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए. उन सभी को सम्मानजनक पुनः नियुक्ति दी जाए.
- देशभर के सरकारी और अर्ध सरकारी प्रतिष्ठानों में रिक्त पड़े लगभग 22 लाख पदों पर नियुक्तियां कर उन्हें तुरंत भरा जाए. आसमान छूती महंगाई पर रोक लगाई जाए.
- मोदी सरकार अपने वायदे पर खरा उतरते हुए किसानों की आय को दोगुना करे,
- जो मोदी सरकार ने अपने प्रमुख चुनावी वादों में किए थे.
हरिद्वार में किया गया धरना प्रदर्शन
हरिद्वार में उत्तरांचल बैंक एम्पलाई यूनियन के बैनर तले बैंक कर्मचारियों ने एक दिवसीय हड़ताल कर सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. एसबीआई बैंक को छोड़ समस्त बैंक कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए.
बैंक एम्पलाई यूनियन की प्रमुख मांगे
- केंद्र सरकार बैंक कर्मचारियों के हितों में योजनाएं बनाए.
- बैंक में कर्मचारियों की भर्तियां करे और आउटसोर्स को बंद करे.
- बड़े घराने जिनकी वजह से बैंकों के एनपीए करीब ढाई लाख करोड़ हो गया है. उसमें बैंकों की कोई कमी नहीं है. बल्कि सरकार की सह होने के चलते रिकवरी नहीं हो पा रही है. उनसे रिकवरी करवाने और नहीं होने पर उनको अपराधी घोषित करें.
- बैंकों में पेंशन स्कीम लागू करने के साथ जनता को मिलने वाले एफडी पर ब्याज को बढ़ाने की मांग की गई.
यूनियन के जनरल सेक्रेटरी राजकुमार सक्सेना ने कहा कि सरकार अभी तक कई बैंकों का विलय कर चुकी है, लेकिन 6 सरकारी बैंकों को बेचने की तैयारी कर रही है. देश में अगर सब कुछ निजी हो जाएगा तो कैसे चलेगा? लोग कैसे विश्वास करेंगे. इसलिए सरकार को जनहित में मजदूरों के हित में नीतियां बनाकर काम करना चाहिए.
हरिद्वार में ट्रेड यूनियनों की हड़ताल
केंद्रीय ट्रेड यूनियन और स्वतंत्र फेडरेशनो के आह्वान पर हरिद्वार में भी 10 यूनियनों इंटक ने संयुक्त रुप से फाउण्ड्री गेट पर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. भेल फाउंड्री गेट पर विरोध प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस बल तैनात किया गया था.
भेल प्रबंधक से मांग
- श्रमिको के वेतन मे से 50 प्रतिशत पर्क्स कटौती को शीघ्र बन्द किया जाये. एरियर सहित 100 प्रतिशत पर्क्स का भुगतान किया जाये.
- 2019-20 के बोनस/एसआईपी और पीपीपी का भुगतान जल्द किया जाये.
- कैन्टीन और ट्रांसपोर्ट सब्सिडी को खत्म करने के प्रस्ताव को निरस्त किया जाये.
- केन्द्रीय कृत इंसेटिव स्कीम को शीघ्र लागू किया जाये.
- लैपटॉप प्रतिपूर्ति को बहाल किया जाये.
- एक करोड का टर्म इंश्योरेंस शीघ्र लागू किया जाये.
- समस्त पे-अनामली को शीघ्र दूर किया जाये.
केंद्र सरकार से मांग
- सार्वजनिक क्षेत्र के विनिवेशीकरण/निजीकरण पर रोक लगायी जाये.
- मजदूर विरोधी श्रम संहिताओ को वापस लिया जाये.
- समय से पूर्व सेवानिवृति के उत्पीडनमय आदेश को वापिस लिया जाये.
- सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियो के मोनेटाईजेशन पर रोक लगायी जाये.
- केन्द्र एवं राज्य सरकारों के रिक्त पदो पर शीघ्र भर्ती की जाये.
- बोनस एवं प्रोविडेन्ट फण्ड की अदायिगी पर सभी बाध्यता सीमा हटाई जाये.
- सभी के लिये पेंशन लागू की जाये और ईपीएस पेंशन मे सुधार किया जाये.
- संविदा कर्मियों को न्यूनतम वेतन 21000/शीघ्र घोषित किया जाये.
रामनगर: काली पट्टी बांधकर जताया विरोध
ट्रेड यूनियन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के समर्थन में सरकारी विभाग के कर्मचारियों और शिक्षकों ने काले फीते बांधकर अपना विरोध जताया. कर्मचारियों और शिक्षकों की मांग है कि पुरानी पेंशन नीति को बहाल किया जाए. नई पेंशन नीति का इतना दुष्परिणाम यह है कि 50 हजार मासिक वेतन वाले कर्मचारियों को हर महीने तीन हजार रुपए की पेंशन ही मिल रही है मामला सिर्फ इतना ही नहीं है सरकार ने जिस प्रकार कार्मिकों कि जीपीएफ का हजारों करोड़ों रुपया शेयर मार्केट में लगा दिया है इससे स्थिति और भी बदतर हो गई है. इसके अलावा सरकार 50 साल से ऊपर के कार्मिकों को जिस प्रकार जबरदस्ती रिटायरमेंट देने पर तुली है इससे स्थिति और भी भयावह हो जाएगी. सरकारी पदों को समाप्त कर रोजगार के अवसरों को समाप्त किया जा रहा है.
रुद्रप्रयाग: सीटू ने रैली निकाली
सीटू के जिला महामंत्री कामरेड बीरेन्द्र गोस्वामी ने कहा कि गुरुवार को दश की दस केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने नरेन्द्र मोदी सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ महा हड़ताल का आयोजन किया गया है. इस दौरान यूनियनों ने सरकार के सामने कई मांगे रखी हैं.
- निजीकरण पर रोक लगायी जाय.
- श्रम कानूनों को बदलना व कमजोर करना बंद किया जाय.
- भोजनमाता, आंगनबाड़ी, ग्राम प्रहरी, आशा, उपनल कर्मचारी और संविदा कर्मवारी को 23 हजार रूपये प्रतिमाह वेतन दिया जाये.
- भोजनमाता व आंगनबाड़ी, ग्राम प्रहरी, आशा और उपनल को राज्य सरकार का कर्मचारी घोषित किया जाये और उन्हें नियमित कर्मचारी की भांति सभी सुविधाएं जारी की जाये.
- समान कार्य का समान वेतन का भुगतान किया जाये.