नंधौर सेंचुरी के इको सेंसेटिव जोन के दायरे में अब कोई बदलाव नहीं होगा

हल्द्वानी : नंधौर सेंचुरी के इको सेंसेटिव जोन के दायरे में अब कोई बदलाव नहीं होगा। पहले जारी हुए नोटिफिकेशन को लेकर आपत्तियां सुनने के लिए दो माह का समय दिया गया था। इसके बाद वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को दोबारा प्रस्ताव भेजा था। अब इस पर फाइनल मुहर लग चुकी है। डीएफओ के पास गजट नोटिफिकेशन भी पहुंच गया। खास बात यह है कि इको सेंसेटिव जोन में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं हुआ। जिससे खनन कारोबार व सिडकुल पर मंडराया खतरा भी टल गया है।

एनजीटी ने दिसंबर 2018 में नंधौर सेंचुरी के आसपास के इको सेंसेटिव जोन के बारे में भी सवाल पूछा था। जिसके चलते खनन कारोबारियों से लेकर सितारगंज व खटीमा तक के उद्यमियों की चिंता बढ़ गई थी। नंधौर में खनन को लेकर असमंजस की स्थिति बनने लगी। वन निगम के जरिये उपखनिज निकासी करवा सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व व हजारों लोगों को रोजगार इससे मिलता है। जिसके बाद वन विभाग ने नक्शा तैयार कर इको सेंसेटिव जोन तय करने के लिए कवायद शुरू की। तराई पूर्वी वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ डा. नीतिशमणि त्रिपाठी ने शासन के निर्देश पर यह पूरा प्रस्ताव तैयार किया था।
जून 2020 में जारी हुए गजट नोटिफिकेशन में 0.7 किमी से लेकर कुछ जगहों पर 15 किमी तक का दायरा भी रखा गया है। खनन व इंडस्ट्री एरिया इको सेंसेटिव जोन से बाहर रखा गया था। हालांकि केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने आपत्तियों को सहमति देते हुए दो महीने तक का समय दिया। जिसके बाद चोरगलिया के कुछ लोगों ने लिखित में आपत्ति दर्ज करवाई थी। वहीं, नंधौर सेंचुरी के डायरेक्टर व हल्द्वानी वन प्रभाग के डीएफओ कुंदन कुमार सिंह ने बताया कि आपत्तियों का निस्तारण करने के बाद गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। इको सेंसेटिव जोन के दायरे को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ।

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