जंगली जानवरों से चौतरफा चुनौतियों से घिरी पर्वतीय खेती की रक्षा करेगा रामबांस

सराईखेत : चौतरफा चुनौतियों से घिरी पर्वतीय खेती को जंगली जानवरों के सितम ने और भी कठिन बना दिया है। मगर पर्यावरण प्रेमी की एक पहल ने उम्मीद जगाई है। जंगली सूअरों की घुसपैठ रोकने के लिए पहाड़ में बहुपयोगी रामबांस की बायो फेंसिंग न केवल फसलों को बचाने में मदद करेगी। बल्कि स्थानीय स्तर पर ग्रामीणों को स्वरोजगार के जरिये उनकी आर्थिकी भी मजबूत करेगी। खास बात यह कि कोसी की सहायक नदी कुंजगढ़ के पुनर्जनन को जलागम क्षेत्रों में अभिनव प्रयोग कर लगाए गए पौधों की सुरक्षा का फार्मूला तैयार कर लिया गया है।

अब तक उपेक्षित वनस्पति रामबांस जंगली सूअरों से फसल बचाने के साथ पहाड़ में आजीविका का आधार बनेगा। हिल्स डेवलपमेंट मिशन, सामाजिक संस्था के सहयोग से हरीश सनवाल ने रामबांस पर जो प्रयोग किया है, वह आने वाले दौर में मील का पत्थर साबित होगा। जयराज, सराईखेत में बेहद सस्ती व प्राकृतिक तरकीब कामयाब भी रही है।

उप्र सरकार ने नीति में किया था शामिल

तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने 1992-93 में जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (पंतनगर) के छात्र रहे पर्यावरण प्रेमी प्रकाश जोशी के शोधपत्र को गंभीरता से लेते हुए रामबांस को आर्थिकी से जोड़ा था। तब उड़ीसा से विशेष प्रजाति के पौधे मंगा वृहद स्तर पर लगाए भी गए। नवगठित उत्तराखंड में उप्र सरकार की योजना पर अमल ही नहीं किया गया।

खास है उडि़या रामबांस

उड़ीसा के रामबांस से करीब सवा सौ सेमी रेशा निकलता है। अध्ययन के अनुसार एक कुंतल पत्तों से औसतन 15 से 20 किलो रेशा मिलता है। पर्वतीय रामबांस के परिपक्व एक कुंतल पत्तों से चार से पांच किलो रेशा हासिल होता है।

ये हैं खूबियां

रामबांस के पत्तों से मिलने वाले रेशे से कपड़े, गृहपयोगी हस्तशिल्प सामग्री, रस्सी, मेवशियों का जालनुमा मुंहबंद, घास भरने का जाल बनता है

गूदे से जैविक कीट व फफूंदनाशक व जैविक खाद बनती है

प्राकृतिक ब्लीचिंग पाउडर जिसका रसायन पानी को साफ करता है

बायो फैंसिंग से जंगली सूअरों पर अंकुश व भूकटाव रोकने में कारगर

रामबांस की खूबियों को समझना होगा। इसकी प्राकृतिक घेरबाड़ जंगली सूअरों को रोकने में कारगर है। तो इसके रेशे से घरेलू सजावटी सामान, मजबूत रस्सी, टोपियां, पायदान आदि बनाए जाते हैं। ग्रामीणों को इसका प्रशिक्षण देंगे। कुंज नदी के रिचार्ज जोन में लगाए गए पौधों की सुरक्षा को भी यही बायो फेंसिंग तैयार करेंगे।

– हरीश सनवाल, कृषि उद्यमी एवं पर्यावरण प्रेमी’

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