पिथौरागढ़ : सीमांत जिले में खत्म हो चुकी सेब की रायल डेलीसस प्रजाति के स्थान पर अब क्लोनल रू ट स्टाक प्रजाति का सेब उगाया जाएगा। इसके लिए मुक्तेश्वर और हिमाचल से पहुंची विशेषज्ञों की टीम ने चीन सीमा से लगे भटका उद्यान फार्म को उपयुक्त पाया है। इस शीतकाल में सेब के पौधे लगाए जाएंगे जो अगले तीन वर्ष में फल देने लगेंगे।
सीमांत जिले पिथौरागढ़ में तीन वर्ष पूर्व तक रेड डेलीसस, रायल डेलीसस और गोल्डन डेलीसस प्रजाति के सेब का उत्पादन होता है, लेकिन शीतकाल में 45 दिनों का पूरा चिलिंग टाइम नहीं मिलने से सेब का उत्पादन सिकुड़ गया, अब यह लगभग शून्य हो गया है, जबकि सीमांत जिले में सेब उत्पादन की अच्छी संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को फिर से धरातल पर उतारने के लिए शासन ने पहल की है। इस पहल पर हिमाचल और मुक्तेश्वर से आए विशेषज्ञों ने भटका फार्म का निरीक्षण किया। टीम ने अब डेलीसस के स्थान पर क्लोनल रू ट स्टाक प्रजाति का सेब उत्पादित करने का निर्णय लिया है। इस प्रजाति की खासियत यह है कि इससे शीतकाल में ज्यादा चिलिंग टाइम की जरू रत नहीं पड़ती है। सामान्य ठंड में भी सेब के पौधों में अच्छी बढ़त होने लगती है। महत्वपूर्ण बात यह है कि डेलीसस प्रजाति के पेड़ जहां पांच वर्ष बाद फल देता है वहीं नई प्रजाति में तीसरे वर्ष से उत्पादन होने लगता है और इसका पेड़ डेलीसस की तरह ज्यादा बड़ा नहीं होता। इस शीतकाल में पौधरोपण होने के बाद 2023 से भटका फार्म में सेब तैयार होने लगेगा।
भटका फार्म 23 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। करीब सात हजार फीट की ऊंचाई पर फैले इस फार्म में 19.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सेब के पौध लगाने की योजना है। इसका प्रस्ताव बनाया जा रहा है। बजट आवंटन होते ही पौधे लगाने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
– आरएस, वर्मा, जिला उद्यान अधिकारी, पिथौरागढ़