अधर में लटकी 3.50 लाख गांवों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने की योजना

नई दिल्ली (एजेंसी)। भारत के 3.6 लाख गांवों को हाई स्पीड इंटरनेट से जोड़ने की योजना अधर में पड़ गई है। भारत ब्राडबैंड निगम लिमिटेड (बीबीएनएल) ने योजना से जुड़े 19,000 करोड़ रुपये के टेंडर को रद कर दिया है। ऐसी स्थिति में गांवों में हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए सरकार को नए सिरे से पूरी कवायद शुरू करनी होगी। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीबीएनएल ने 16 राज्यों के 3.6 लाख गांवों को आप्टिकल फाइबर आधारित हाई स्पीड ब्राडबैंड नेटवर्क से जोड़ने के लिए जारी 19,000 करोड़ रुपये की निविदा रद कर दी है। इसकी बड़ी वजह यह है कि उसे योग्य बोलीदाता नहीं मिले।

इस परियोजना को पिछले साल जून में भारतनेट अभियान के तहत मंजूरी दी गई थी। इसके तहत 16 राज्यों में सार्वजनिक और निजी भागीदारी माडल (पीपीपी) के साथ कुल 29,430 करोड़ के निवेश से आप्टिकल फाइबर नेटवर्क बिछाने की मंजूरी दी गई थी। इस परियोजना के लिए केंद्र ने 19 हजार करोड़ रुपये देने की सहमति जताई थी। इस परियोजना को 9 हिस्सों में बांटा गया था। प्रत्येक हिस्से के लिए अलग-अलग निविदाएं जारी की गई थीं।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक बीबीएल ने 9 निविदाओं में से प्रत्येक के लिए किसी भी बोलीदाता के नहीं आने के कारण इन्हें रद करने का फैसला किया है। हालांकि जब इस संबंध में बीबीएनएल से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उसने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि एक आधिकारिक सूत्र ने बताया कि कुछ कंपनियों ने निविदा के तहत बोली लगाई थी, लेकिन मूल्यांकन के दौरान वे योग्य नहीं पाई गई। नाम नहीं बताने की शर्त पर सूत्र ने कहा कि उद्योग से परामर्श के बाद फिर से टेंडर निकाला जाएगा। सरकार गांवों को जल्द से जल्द ब्राडबैंड से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

सरकारी कंपनियों ने हाथ खड़े किए तो पीपीपी मोड चुना गया

पहले इस परियोजना को सरकारी कंपनियों को पूरा करना था, लेकिन जब उन्होंने हाथ खड़े कर दिए तो पीपीपी मोड का विकल्प चुना गया। भारतनेट परियोजना को 2011 में राष्ट्रीय आप्टिकल फाइबर नेटवर्क के तौर पर मंजूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य 2.5 लाख पंचायतों को वर्ष, 2013 तक हाई स्पीड नेटवर्क से जोड़ना था। हालांकि अब इसे 2025 तक बढ़ा दिया गया है।

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