पूर्व मंत्री हरक सिंह की करीबी दमयंती रावत के खिलाफ जांच के आदेश, बिना अनुमति जारी किए 20 करोड़

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी अफसर रहीं खंड शिक्षा अधिकारी दमयंती रावत के इर्द गिर्द अब सरकार ने शिकंजा कसना शुरु कर दिया है। दमयंती रावत पर बिना अनुमति 20 करोड़ की धनराशी हस्तांतरण का आरोप लगा है। इसकी जांच शुरु कर दी गई है। पिछली सरकार में भी दमयंती रावत के कामकाज को लेकर सवाल उठे थे। हालांकि हरक सिंह रावत के चलते कोई खास कार्रवाई नहीं हो पाई थी।

आरोप है कि भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव व खंड विकास अधिकारी दमयंती रावत ने शासन से बिना प्रशासनिक अनुमति और वित्तीय स्वीकृति के 20 करोड़ की धनराशी पास की है। कोटद्वार में मेडिकल काॅलेज की गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना के पक्ष में बिना प्रशासनिक अनुमति के कर्मचारी राज्य बीमा योजना को 20 करोड़ लोन के रूप में ट्रांसफर किए थे।

उत्तराखंड शासन के सचिव रविनाथ रमन ने इस मामले में आदेश जारी करते हुए बताया कि बीईओ दमयंती रावत उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड देहरादून में सचिव के पद पर कार्यरत थीं। उन पर आरोप है कि उन्होंने कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज की गैर प्रशासनिक वित्तीय स्वीकृति प्राप्त परियोजना के पक्ष में बिना सक्षम प्राधिकारी व प्रशासनिक अनुमति के कर्मचारी राज्य बीमा योजना को ऋण के रूप में 20 करोड़ रुपये हस्तांतरित कर दिए। सचिव के अनुसार दमयंती ने ऐसा कर वित्तीय नियमों का उल्लंघन किया है। इस मामले में दमयंती को 22 सितंबर 2021 को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। दमयंती ने इस पर अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए सभी आरोपों को अस्वीकार किया है।

सचिव रविनाथ रमन ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई है। श्रम आयुक्त संजय कुमार की अध्यक्षता में गठित समिति में वित्त नियंत्रक विद्यालयी शिक्षा मोहम्मद गुलफाम अहमद एवं उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा हरेराम यादव को शामिल किया गया है। समिति से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए। बता दें कि उत्तराखंड के शिक्षा विभाग की खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) दमयंती रावत का विवादों से नाता जुड़ा रहा है।

दमयंती को लेकर पूर्व में मंत्री रहे हरक सिंह रावत और पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे आमने सामने आ गए थे। शिक्षा विभाग की अनुमति के बिना उन्हें कर्मकार बोर्ड का अपर सीईओ बना दिया गया था। उस दौरान शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने इस पर नाराजगी जताई थी। इसके साथ ही पूर्व शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के बीच भी दमयंती रावत को लेकर विवाद हो चुका है। अब इस वित्तीय अनियमितता के गंभीर मामले को लेकर शिक्षा सचिव रविनाथ रमन की ओर से जो जांच समिति बनाई है। इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की एक टीम बनाई है।

 

 

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