क्या आपको पता है कहां होती है फौजियों की संगीत वाली ट्रेनिंग? एशिया में इतना बड़ा स्कूल कहीं नहीं है…

मध्यप्रदेश (मीडिया रिपोर्ट के आधार पर)।  आज पूरे देश में तीनों सेनाएं कोरोना वॉरियर्स को अपने अपने तरीके से सलाम कर रही हैं। इंडियन आर्मी जगह जहह कोरोना योद्धाओं के सम्मान में संगीतमय धुनें बजा रही है। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर आर्मी के जवानों को संगीत की ट्रेनिंग कहां दी जाती है। अगर नहीं, तो आइए हम आपको बताते हैं।

दरअसल आर्मी के जवानों को जहां संगीत की शिक्षा दी जाती है और उन्हें एक संगीतकार के तौर पर ट्रेंड किया जाता है वो एशिया का सबसे बड़ा न्यूजिक स्कूल है। ये स्कूल है मध्यप्रदेश के पचमढ़ी में। मध्यप्रदेश का पचमढ़ी विश्वप्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस भी है। यहीं है आर्मी म्यूजिक स्कूल। ये स्कूल 70 साल पुराना है। इसे आईएसओ सर्टिफिकेट भी मिल चुका है। आपको बता दें कि 1997 में सबसे बड़े मिलिट्री बैंड के लिए इसका नाम गिनीज बुक में दर्ज हुआ था।

हजारों सैनिक यहां से ले चुके हैं संगीत की ट्रेनिंग

पचमढ़ी के इसी संगीत स्कूल से देश के दस हजार से ज्यादा सैनिक संगीत के लिए ट्रेनिंग लेकर तैयार हो चुके हैं। बताया गया है कि यहां से देश के 51 म्यूूजिक बैंड भी तैयार हुए हैं। इस स्कूल में  भारत के अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान, माली, भूटान, म्यांमार, नेपाल जैसे 14 देशों के अफसर-जवान भी म्यूजिक की ट्रेनिंग लेते हैं। सैनिकों के लिए यहां 3 महीने से लेकर 148 हफ्तों के दस कोर्स चलाए जाते हैं। सेना के अलावा नौसेना, वायुसेना के साथ पुलिस, असम राइफल, सीआरपीएफ, बीएसएफ, पैरामिलिट्री फोर्सेस भी अपने सैनिक-अफसरों को यहां ट्रेनिंग के लिए भेजती हैं।

संगीत के साथ दी जाती है फायरिंग की भी ट्रेनिंग 

पचमढ़ी में इस म्यूजिक स्कूल में सिर्फ संगीत ही नहीं बल्कि फायरिंग की भी ट्रेनिंग दी जाती है। यानि यहां एक कंप्लीट फौजी तैयार किया जाता है।  यहां जो भी फौज की संगीत शिक्षा के लिए आता है उसे फिजिकल टेस्ट में भी पास होना पड़ता है। यहां हर जवान की कैम्प सिक्योरिटी की नाइट ड्यूटी लगती है। ट्रेनिंग पूरी होने पर अपनी यूनिट में जाकर वह आम सैनिकों की तरह कॉम्बैट में हिस्सा भी लेते हैं। सीमा की रखवाली करते हैं और जरूरत पड़ने पर युद्ध भी लड़ते हैं।

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