हल्द्वानी (नेटवर्क 10 संवाददाता ): सरकारी अस्पतालों में खुले जन औषधि केंद्रों में लंबे समय से दवाइंया नहीं उपलब्ध हैं. सरकारी अस्पतालों में बनाए गए जन औषधि केंद्रों में या तो ताले लटके हैं या बिना दवाइयों के मेडिकल स्टोर खुले हुए हैं. ऐसे में लोगों को सस्ती दवाइयों को उपलब्ध कराने का सरकार का दावा उत्तराखंड में फेल होता दिखायी दे रहा है. मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने सचिव औषधि भारत सरकार, स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड और जिला रेडक्रॉस सोसाइटी नैनीताल को तीन सप्ताह के अंदर विस्तृत जवाब दाखिल करने के भी आदेश दिए हैं. वहीं इस पूरे मामले में कुमाऊं कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यांकी का कहना है कि जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि व्यवस्थाएं ठीक करें.
बता दें कि सरकार लोगों को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने की बात तो कर रही है, लेकिन उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में बनाए गए अधिकतर जन औषधि केंद्रों में दवाइयां नहीं हैं. ऐसे में मरीज और तीमारदार भटक रहे हैं. केंद्र सरकार के नियमानुसार जन औषधि केंद्र पर 750 से अधिक दवाइयां उपलब्ध होनी चाहिए. जन औषधि केंद्रों में या तो ताले लटके हैं या दवाइयां नहीं हैं. यहां तक कि जन औषधि केंद्रों पर सर्दी-जुकाम और बीमारियों की दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हैं. बताया जा रहा कि पिछले दो सालों से जन औषधि केंद्र में दवा आना लगभग बंद हो गया था. स्टॉक खत्म होने के बाद अब दवाइयां बिल्कुल खत्म हो चुकी हैं.
प्रदेश के जन औषधि केंद्रों पर दवाइयां नहीं होने के चलते हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या वजह है कि जन औषधि केंद्रों पर दवाइयां नहीं हैं. हाईकोर्ट ने सरकार से तीन सप्ताह के अंदर जवाब पेश के आदेश दिए है. कुमाऊं कमिश्नर अरविंद सिंह ह्यांकी का कहना है कि मामले को लेकर सभी जिला अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर किसी तरह की कोई दिक्कत न हो और जल्द व्यवस्था ठीक की जाएं.