देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता ) : देहरादून के फर्जी ट्रांसफर ऑर्डर मामले का बुधवार को पुलिस ने खुलासा कर दिया है. इस मामले में पुलिस ने कुलदीप नेगी नाम के एक आरोपी को गिरफ्तार किया है, जो देहरादून के डालनवाला में रहता है. ये पूरा खेल वर्तमान डिप्टी कमिश्नर सुधांशु गर्ग को देहरादून आरटीओ का पद दिलाने व उसके बदलने मोटी रकम वसूलने के लिए किया गया था. पुलिस ने आरोपी का मोबाइल और लैपटॉप जब्त कर लिया है.
पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने डिप्टी कमिश्नर गर्ग को कहा था कि शासन और राजनीति में उसकी अच्छी पैठ है. इसीलिए वे उन्हें देहरादून का आरटीओ बनावा सकता है. इसके लिए उन्हें मोटी रकम देनी होगी. जिसके लिए सुधांशु गर्ग भी तैयार हो गए थे.
देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी के मुताबिक, आरोपी ने बड़े ही शातिराना तरीके से एक पुराने आदेश की फोटो कॉपी की और परिवहन सचिव शैलेश बगौली के जाली हस्ताक्षर से संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) दिनेश चंद्र पठोई का ट्रांसफर परिवहन मुख्यालय में दिखाया और उपायुक्त परिवहन सुधांशु गर्ग का ट्रांसफर देहरादून आरटीओ ऑफिस में संभागीय परिवहन अधिकारी के तौर पर दिखाया.
आरोपी कुलदीप ये फर्जी आदेश सुधांशु गर्ग के पास भेजा. हालांकि, कुलदीप ने गर्ग से कहा कि जब तक आदेश से जुड़े कुछ बड़े अधिकारियों और नेताओं को रुपया नहीं पहुंचाया जाएगा तब तक आदेश वास्तविक रूप में जारी नहीं होगा. इससे पहले दोनों के बीच दूसरे स्टैप का लेन-देना होता ये फर्जी आदेश वायरल हो गया.
मोबाइल शॉप पर काम करता है आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी कुलदीप ने कुछ साल पहले ही चंबा से बीएससी की है, अभी वह देहरादून की एक मोबाइल शॉप में काम कर रहा था. कुलदीप को चार पहले एक वीआईपी नंबर लेना था, तभी उसकी मुलाकात 2016 में देहरादून आरटीओ कार्यालय में डिप्टी कमीश्नर सुधाशु गर्ग से हुई थी. इसके बाद दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा. सुधाशु गर्ग के आरटीओ बनने के बाद दोनों के बीच बसों के परमिट लेने का भी सौदा भी तय हुआ था. अब पुलिस इस मामले में डिप्टी कमिश्नर सुधांशु गर्ग से भी पूछताछ कर उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी कर रही है.
क्या था मामला
देहरादून आरटीओ में काम करने वाले परमिट इंचार्ज को व्हाट्सएप पर परिवहन संभागीय अधिकारी देहरादून यानी आरटीओ देहरादून के ट्रांसफर का आदेश प्राप्त हुआ. इस आदेश के अनुसार सुधांशु गर्ग को देहरादून का नया आरटीओ बनाया गया था. आदेश की कॉपी बिल्कुल शासन द्वारा जारी होने वाले आदेश की तरह था. इस पर परिवहन सचिव शैलेश बगोली के हस्ताक्षर थे. जिसके बाद जब देहरादून आरटीओ द्वारा औपचारिक रूप से सचिव परिवहन से बात की गई तो उन्होंने इस तरह के किसी भी आदेश से मना कर दिया था.