स्व. हीरा सिंह राणा का लिखा गीत रिलीज, 60 के दशक में लिखा गया था यह गीत

देहरादून: उत्तराखंड के लोकप्रिय लोकगायक, जनकवि और महान गीतकार स्व. हीरा सिंह राणा के रचे कई गीत अभी भी रिकार्ड नहीं किए गए हैं। ऐसे ही एक गीत को आज उनकी पहली पुण्यतिथि पर उनके परम शिष्य लोकगायक और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. अजय ढौंडियाल के स्वरों में आज यूट्यूब पर रिलीज किया गया है। इस गीत के बोल हैं ” हिरदी पीड़ कैले नि जाणि..। हिरदी पीड़ यानी हृदय की पीड़ा, लेकिन यह किसी एक इंसान के हृदय की पीड़ा नहीं है। यह पहाड़ के हृदय की पीड़ा है, पहाड़ आम जन के हृदय की पीड़ा है। यह पहाड़ की मनोदशा भी है जिसे पर स्व. राणा जी ने साठ के दशक में अपने शब्दों में उकेरा था। सन साठ के गीत को आज डॉ. अजय ढौंडियाल ने जनता के समक्ष पेश किया है। इस गीत को खुद स्व. राणा जी की धर्मपत्नी ने भी सराहा है। यह गीत पहली बार रिकार्ड किया गया है। सबसे बड़ी बात इस गीत की यह है कि यह गीत पहाड़ के सन्दर्भ में आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि तब था। पहाड़, उसकी पीड़ा, उसकी समस्याएं और उसके सरोकार आज भी वैसे ही हैं जैसे सन साठ में थे। यह महज एक गीत नहीं है उत्तराखंडी सरोकारों की सशक्त और सुरमय अभिव्यक्ति है जिसे अब जाकर जनता के समक्ष प्रस्तुत किया गया है।

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