दिल्ली में झुग्गी वालों के लिए बने फ्लैट खंडहर में तब्दील, कैसे मिलेगा फ्लैट?

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ही सही दिल्ली में तकरीबन ढाई दशक बाद एक बार फिर झुग्गी झोपड़ी वालों को आखिरकार फ्लैट देने को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं हैं. मगर डेढ़ दशक पहले दिल्ली में जो फ्लैट झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को देने के लिए तत्कालीन कांग्रेस की शीला सरकार ने राजीव गांधी आवास योजना के तहत तैयार कराए थे, वह खंडहर में तब्दील हो चुका है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा रेलवे लाइन किनारे बसे झुग्गी झोपड़ियों को एक तय समय सीमा के भीतर हटाने के आदेश के बाद झुग्गी वालों को राजीव गांधी आवास योजना के तहत तैयार फ्लैट देने की बात चल रही है. तो बड़ा सवाल यह है कि फ्लैट की हालत ऐसी हो चुकी है कि वहां लोग कैसे रहेंगे?

दिल्ली की शीला सरकार ने बाहरी दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र में वर्ष 2006 में राजीव गांधी आवास योजना के तहत झुग्गी वालों के लिए फ्लैट बनाने का फैसला लिया था. काम तेजी से शुरू हुआ और यह फ्लैट 2008-09 में बनकर तैयार भी हो गए. फ्लैट का निर्माण दिल्ली सरकार के डुसिब (दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड) ने किया. इन फ्लैटों की देखरेख का जिम्मा भी डुसिब के पास है.

कुछ फ्लैट फैक्ट्री में काम करने वाले कर्मचारियों को दिए गए
कुछ फ्लैट बवाना औद्योगिक क्षेत्र में फैक्ट्री चलाने वालों के यहां जो कर्मचारी हैं उनको आवंटित किए गए. आज हालत यह है कि फ्लैट में एक भी मूल आवंटी नहीं रह रहे हैं. जितने फ्लैट हैं उनमें सभी किराएदार रह रहे हैं और 80% से अधिक फ्लैट आज भी खाली है. जिसे अब झुग्गी वालों को आवंटित करने की बीजेपी मांग कर रही है. फ्लैट का आवंटन नहीं होने से वहां पर आज तक ना तो पीने का पानी उपलब्ध हो पाया है, ना ही जो सर्विस लेन, पार्क बनाए गए थे उसकी स्थिति ऐसी है कि उसकी उपयोगिता सिद्ध हो सके.

केंद्र की योजना से केजरीवाल सरकार ने बनाई दूरी

वर्ष 2014 में जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तब 2 साल बाद प्रधानमंत्री ने 2022 तक सबको अपना मकान देने का ऐलान किया. जिसकी शुरुआत भी स्लम व झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों को पक्के मकान देने से होनी है. इस योजना को प्रधानमंत्री आवास योजना नाम दिया गया. सभी राज्य सरकारों को इस योजना के तहत सस्ते मकान उपलब्ध कराने हैं. लेकिन दिल्ली सरकार ने योजना को लागू नहीं किया है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गरीबों को मकान देने के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना को लांच किया और इस योजना के तहत भी राजीव गांधी आवास योजना के तहत तैयार इन्हीं फ्लैटों को देने की बात कही गई है. आज दो साल बाद भी मुख्यमंत्री आवास योजना के तहत फ्लैट किसी को आवंटित नहीं किया जा सका है.

बता दें कि दिल्ली में झुग्गी वालों को पक्का मकान देने के लिए सबसे पहले शीला दीक्षित सरकार के कार्यकाल में ही राजीव रत्न आवास योजना को लांच किया गया था. इस योजना के तहत 100 रुपये में फॉर्म भी बेचे गए थे. जिसमें भी धांधली होने का आरोप है. तत्कालीन सरकार ने झुग्गी वालों को 15 साल के लिए यह फ्लैट देने का निर्णय लिया था. उस दौरान 13,700 फ्लैट बवाना में इस योजना के तहत तैयार किए गए. लेकिन आज तक फ्लैट झुग्गी वालों को नहीं दिए गए.

मजबूरी में रहते हैं लोग
यहां पर कोई 10 साल से तो कोई 5 साल से रह रहा है. तो वह भी कहते हैं कि उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं कि किसी अन्य इलाके में रहे. समीप स्थित औद्योगिक क्षेत्र की फैक्ट्रियों में वे छोटा-मोटा काम करते हैं. थोड़ी बहुत आमदनी होती है इसी के चलते यहां पर रहना उनकी मजबूरी है.

पैसे देकर खरीदते हैं पानी
यहां पर फ्लैट बने हुए लंबा अरसा हो गया. लेकिन पीने के पानी की आपूर्ति आज तक नहीं हुई है. टैंकरों के जरिए वे पानी खरीद कर पीते हैं. कहीं-कहीं अवैध रूप से बोरिंग लगा है तो प्रति परिवार 500 रुपये देकर खारा पानी लेते हैं ताकि अन्य जरूरतें पूरी की जा सके.

सुविधाएं बहाल करने के लिए लिखा गया पत्र

इन फ्लैटों में झुग्गी वालों को बगैर बुनियादी सुविधाओं के कैसे बचाया जाएगा? इस संबंध में जब डुसिब के सदस्य से बात की तो उनका कहना था कि दिल्ली सरकार ने केंद्रीय रेल मंत्री को पत्र लिखा है. फ्लैट बने हुए काफी साल हो गए. इसीलिए यहां मरम्मत की जरूरत है. इसके लिए जब केंद्र फण्ड देगी तब सुविधाएं यहां पर बहाल हो सकेंगी.

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