नई दिल्ली : राज्य सभा के सभापति वेंकैया नायडू ने सोमवार को विपक्ष के आठ सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया. इन सांसदों ने रविवार को कृषि बिल पर वोटिंग के दौरान उपसभापति को काम करने से रोका था. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, वे हैं डेरेक ओ ब्राइन, राजीव साटव, संजय सिंह, केके रागेश, रिपुन बोरा, डोला सेन, सैयद नासिर हुसैन और एलामारन करीम. सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि रविवार का दिन राज्य सभा के लिए बुरा दिन था. जब कुछ सदस्य सदन के वेल में आए. इस दौरान उपसभापति को शारीरिक रूप से खतरा था. यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है.
नायडू ने कहा कि मैं आप लोगों को सुझाव देना चाहता हूं कि सदन की मर्यादा को बचाए रखने के लिए आत्म निरीक्षण कीजिए. आप लोगों ने माइक तोड़ दिए. रूल बुक फाड़ दिए. क्या ऐसे संसद चलेगा. वेंकैया नायडू ने विपक्ष के उस प्रस्ताव को भी अनुमति नहीं दी, जिसमें उन्होंने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था. उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को उपयुक्त तरीके से नहीं लाया गया है.
कृषि विधेयकों को लेकर संसद में हुए हंगामे के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विपक्ष को जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया था. उन्होंने आश्वस्त किया था कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था आगे भी बनी रहेगी. वहीं, विपक्ष पर हमला बोलते हुए तोमर ने कहा कि विपक्ष केवल देश को गुमराह करने का काम कर रही है.
सरकार की ओर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थाावरचंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी ने संवाददाता सम्मेलन कर विपक्षी दलों के राज्यसभा सदस्यों पर जमकर हमला बोला था. राजनाथ सिंह ने कहा था कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में ऐसे रवैये की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन रविवार को विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामा किया था. हालांकि, हंगामे के राज्यसभा ने दो प्रमुख कृषि विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया था. विधेयक पारित करने के लिए वोटिंग की प्रक्रिया के दौरान विपक्षी सदस्यों ने खूब हंगामा किया था. आक्रोशित सांसदों ने उपसभापति के आसन की ओर रुख करते हुए उनकी ओर नियम पुस्तिका को उछाला, सरकारी कागजातों को फाड़ डाला और मत विभाजन की अपनी मांग को लेकर उन पर दबाव बनाने का प्रयास किया.