पूर्व सांसदों-विधायकों के आपराधिक केस तय वक्त में निपटे- SC

केंद्र सरकार (Central Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बुधवार को कहा कि पूर्व सांसदों और विधायकों के आपराधिक मुकदमों के मामलों का निर्धारित‌ समय में निपटारा होना चाहिए. इसके लिए केंद्र किसी भी आदेश का स्वागत करेगा. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों में मुकदमों की सुनवाई के लिए समय सीमा तय कर सकता है. ताकि तय समय में उनके मुकदमों का निपटारा हो सके. उन्होनें कहा कि तमाम मामलों में हाई कोर्ट्स के द्वारा रोक लगाई गई है. ऐसे में अदालत हाई कोर्ट को मुकदमों का निपटारा करने या फिर ट्रायल को जारी रखने का निर्देश दे.

तुषार मेहता ने कहा, “जहां तक विशेष अदालतों के गठन के लिए ढांचागत व्यवस्था का मसला है. उसके लिए अदालत राज्यों को एक माह के भीतर व्यवस्था करने का आदेश दे.”

क्या बोले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता 

एसजी ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों के पास ऐसे जो मामले लंबित हैं, उन पर वह सरकार से निर्देश लेकर अदालत को सूचित करेंगे. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में वह विस्तृत आदेश जारी करेगा और तीन सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगा.

आज मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र (एमाइकस‌ क्यूरी) और केंद्र सरकार ने कई सुझाव दिए. सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि केंद्रीय एजेंसियों के पास जो मामले हैं. उसमें दो-तीन दशक से मामले लंबित हैं. उसका क्या स्टेट्स है. सरकार क्या कर रही है.

एमाइकस‌ क्यूरी ने कहा, “विभिन्न राज्यों से मामले हैं जो केंद्रीय एजेंसियों को स्थानांतरित किए गए. कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में ऐसे मामले हैं. कर्नाटक में 56 और तेलंगाना में 13 ऐसे मामले हैं जिन पर हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है. ऐसे तमाम मामले हैं जो महज केंद्रीय एजेंसियों ने दर्ज कर लिए और आगे कदम नहीं बढ़ाया गया.”

‘मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालत का गठन करें’

केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्यों को ट्रायल के लिए पूरी व्यवस्था करने और ऐसे मामलों पर रोक नहीं लगाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी करना चाहिए. क्योंकि मनी लांड्रिंग और भ्रष्टाचार जैसे मामले काफी गंभीर हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्यों में एमपी/एमएलए के आपराधिक मामलों के निर्धारित समय में निपटारे के लिए विशेष अदालत का गठन किया जाए. इस पर एसजी तुषार मेहता ने कहा कि यह उचित है और बड़े राज्यों में विशेष अदालत की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है. हालांकि, एमाइकस क्यूरी ने कहा कि हरेक जिले में एक कोर्ट बनाने की जरूरत है.

‘एक राज्य में एक कोर्ट बनाना काफी नहीं होगा’

तुषार मेहता ने कहा कि जिन राज्यों में एक-दो मामले ही लंबित हैं. वहां हाई कोर्ट तय करे और कोष जारी करने का जहां तक सवाल है. अदालत जैसा कहेगी तो केंद्र कोष जारी करेगा. कोष जारी करने का मसला कोई मुद्दा नहीं है.

एसजी ने सुझाव दिया कि विशेष कोर्ट अगर राज्य में एक ही होगी तो कई राज्यों के मामलों पर जल्द सुनवाई नहीं हो पाएगी, क्योंकि कई राज्य ऐसे हैं कि जहां 300 से ज्यादा केस हैं. ऐसे में एक राज्य में एक कोर्ट बनाना काफी नहीं होगा.

एससी ने कहा कि कई मामलों में CBI, ED और दूसरी जांच एजेंसी और राज्य की एजेंसी FIR तो दर्ज करती हैं, लेकिन आगे की कार्यवाही नहीं होती. इस पर एसजी ने कहा कि वह सरकार से निर्देश लेकर कोर्ट को सूचित करेंगे.

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