वन संस्थान हल्द्वानी के बायोडायवर्सिटी पार्क में तितली पार्क हुआ तैयार

हल्द्वानी: वन अनुसंधान केंद्र, हल्द्वानी अपनी कई उपलब्धियों के लिए जाना जाता है. जैव विविधता के साथ-साथ अनुसंधान केंद्र उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है. वन अनुसंधान केंद्र ने जैव विविधता को बचाने के लिए अनुसंधान केंद्र में ही कछुआ, बतख, मधुमक्खी और पक्षियों के संरक्षण की व्यवस्था की है. इससे लोग जैव विविधता के साथ पक्षियों का भी दीदार कर इनकी विशेषता जान सकेंगे.

वन अनुसंधान केंद्र के वन क्षेत्राधिकारी मदन बिष्ट ने बताया कि बायोडायवर्सिटी पार्क में तरह-तरह के विलुप्त प्रजाति के पेड़-पौधों के अलावा जड़ी बूटियों का संसार है. ऐसे में इनसे जुड़े पशु पक्षियों में कछुआ, बतख, मधुमक्खी, तितली और चिड़ियों का संसार यहां बनाया जा रहा है. इससे की जैव विविधता के साथ इनको भी जोड़ा जा सके. जैव विविधता के क्षेत्र में इन सभी का विशेष योगदान होता है. उन्होंने कहा कि पेड़ों से भोजन हासिल कर जब चिड़िया बीट करती है तो बीट के माध्यम से जमीन पर बीज अंकुरित होते हैं, तो वहीं अनुसंधान केंद्र में इतने फूलों के परागण हैं, जिसके माध्यम से मधुमक्खियां अपना आशियाना बना सकती हैं.

उन्होंने यह भी बताया कि तितलियों के प्रवास के लिए यहां पर तितली पार्क तैयार किया जा रहा है, जिससे कि और सुधार केंद्र में उत्पादित होने वाले फूल-पौधों से तितलियां अपना प्रवास बना सकें. गौरतलब है कि वन अनुसंधान केंद्र में झाड़ी और वृक्ष की 130 प्रजातियां हैं. जबकि औषधीय गुणों से युक्त 40 प्रजाति कैक्टस की, बांस की 25 प्रजाति हैं. जलीय वनस्पति की 25 प्रजाति का यहां संरक्षण संरक्षण किया जा रहा है. इसके अलावा कई धार्मिक और ऐतिहासिक पेड़ पौधों का भी यहां संरक्षण किया जा रहा है.

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