लफंगों की गहरी चाल ने बना दिया अमेरिकी विरोध को लूट का खेल – रितेश टंडन

( मोहन भुलानी, नेटवर्क 10 संवाददाता ) कैलिफ़ोर्निया से अमेरिकी कांग्रेस के लिए रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार रितेश टंडन ने बताया कि जॉर्ज फ्लॉयड की मिनियापोलिस में दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु को असामाजिक तत्वों ने अमेरिका में लूट और आगजनी का राजनैतिक खेल बना लिया। जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या मिनियापोलिस में हुई जो डेमोक्रेटिक पार्टी शासित राज्य  है और 1932 से मूलतः डेमोक्रेटिक पार्टी के शासन में रहा है। पर जिस तरह पूरे अमेरिका को दंगो ने घेर लिया और लूट-पाट एवं आगजनी हुई वह एक सोची समझी साजिश लगती है।  इसमें असामाजिक तत्वों जिनको अमेरिका विरोधी विदेशी शक्तियों का समर्थन भी प्राप्त है उनका पूरा हाथ लगता है।  दिल्ली दंगो के रूप में भारत भी देख चूका है कि कुटिल विदेशी शक्तियों के द्वारा लोकतान्त्रिक देशों में हिंसा भड़काना कितना आसान है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे देखते हुए वामपंथी  संगठन एंटीफा (ANTIFA) को एक आतंकवादी संगठन घोषित करने का निर्णय लिया है। ज्ञात हो कि भारत में भी मार्क्सवादी-लेनिनवादी विचारधारा से जुड़े वामपंथी विचारधारा के लोग हिंसा में लिप्त रहते हैं जिसमे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (माओवादी) और नक्सलवादी शामिल हैं। इस्लामिक अतिवादी संगठनो के साथ इन वामपंथियों का गठजोड़ न केवल भारत और अमेरिका बल्कि समस्त लोकतान्त्रिक देशों के लिए बड़ा खतरा है।  इसकी चर्चा कई नामी टेररिज्म एक्सपर्ट भी कर चुके है।
दंगाईयों द्वारा अमेरिका में महात्मा गाँधी की प्रतिमा का अपमान करे जाने पर रितेश ने बताया कि वह लखनऊ के एक साधारण परिवार से आते हैं जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लगातार जुड़ा रहा। गाँधी जी पर अमेरिकी दंगाइयों द्वारा रंगभेद का आरोप लगाए जाने पर उन्होंने कहा कि मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला  और लेख वलेचा जैसे महान लोगों पर महात्मा गाँधी ने जो प्रभाव छोड़ा है, वह स्वयं ही सारी बात कह देता है।
रितेश ने नेल्सन मंडेला के शब्द दोहराये कि गांधी को उनके महात्मा बनने से पहले के पूर्वाग्रहों को क्षमा करना चाहिए।  हमे समय और परिस्थितियों के संदर्भ में न्याय करना चाहिए। हम यहां युवा गांधी को देख रहे हैं।  महात्मा बनने के पश्चात्  गाँधी बिना किसी मानव पूर्वाग्रह के केवल सत्य और न्याय के पक्ष में थे। रितेश ने अमेरिकी समाज से शांति की अपील की और कहा चाहे हमारे रंग और धर्म अलग हों और हम विश्व के किसी भी कोने से अमेरिका आये हों आखिर हम सब अमेरिकी ही हैं। हमे संविधान, कानून और सामाजिक मर्यादा में रहना होगा तथा साथ साथ मिल जुलकर राष्ट्र निर्माण की भावना से जुड़ना होगा। लोकतंत्र में हिंसा, आगजनी और लूटपाट का कोई स्थान नहीं है क्योंकि यह एक सामान्य नागरिक का सबसे ज़्यादा अहित करती है और इसका फायदा असामाजिक तत्व और अमेरिका विरोधी शक्तियां उठाती हैं।

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