नैनीताल : यह साल खगोलीय घटनओं से भरा होगा। खगोल विज्ञान में रुचि रुखने वाले और शोध करने वालों की इन पर निगाह होगी। साल में चार ग्रहण लगेंगे तो तीन ग्रह सूर्य की विपरीत दिशा में आएंगे। इसके अलावा छह बार उल्कापिंडों की झमाझम बारिश देखने के लिए मिलेगी। खगोल प्रेमियों को इनका बेशब्री से इंतजार होगा।
आर्यभटट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल विज्ञानी डॉ शशिभूषण पांडे के अनुसार इस वर्ष चार ग्रहण लगने जा रहे हैं। जिनमें पहला पूर्ण चंद्रग्रहण 26 मई को होगा। इसके 15 दिन बाद 10 जून को वलयाकार सूर्यग्रहण लगेगा। अगला आंशिक चंद्रग्रहण 19 नवंबर को होगा, जबकि पूर्ण सूर्यग्रहण चार दिसंबर को होगा। ग्रहण के अलावा उल्काओं की आतिशीबाजी मुख्य आकर्षण का केंद्र होंगी। जिसमें 22 अप्रैल को लिरिड मेटियोर शॉवर, पांच मई एटा मेटियोर शॉवर, 12 अगस्त पर्शिड मेटियोर शॉवर, 21 अक्टूबर ओरिनीड मेटियोर शॉवर, पांच नवंबर टौरिड मेटियोर शॉवर जबकि अंतिम जेमिनीड मेटियोर शॉवर 14 दिसंबर को देखने को मिलेगा।
इस बीच अपोजिशन की पहली घटना दो नवंबर को शनि ग्रह के साथ होगी, जबकि दूसरी घटना में सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह 19 अगस्त को सूर्य के ठीक विपरित दिशा में होगा। इसके बाद 14 सितंबर को नेपच्यून अपोजिशन में होगा। पांच नवंबर को यूरेनस अपोजिशन की स्थिति में होगा। अपोजिशन की घटना में एक ओर सूर्य अस्त हो रहा होता है तो दूसरी ओर ग्रह उदय होता है।
काल गणना के साथ स्टार गेजिंग का हिस्सा हैं ये खगोलीय घटनाएं