डिजिटल मीडिया में गूगल, फेसबुक समेत इन कंपनियों के सामने खड़ी होगी मुश्किलें

सरकार की ओर से सोमवार को नोटिस जारी कर कहा गया कि डिजिटल मीडिया (Digital) में अधिकतम 26 प्रतिशत एफडीआई (FDI) के फैसले के पालन संस्थानों को एक महीने के अंदर करना होगा. मतलब अब भारतीय डिजिटल मीडिया में 26 फीसदी से ज्यादा का विदेशी निवेश किसी कंपनी में है तो उसे कम करके 26 फीसदी पर लाना होगा. इससे पहले सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए कई चीनी एप्स और न्यूज एग्रीगेटर्स को भी बैन कर दिया था. सरकार के इस फैसले से मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो पर भी असर पड़ेगा. क्योंकि रिलायंस जियो ने जियो प्लेटफॉर्म्स के जरिए जो विदेशी फंडिंग जुटाई है उसकी कुल हिस्सेदारी 26 फीसदी से ज्यादा है. जबकि सरकार ने कुल 26 फीसदी एफडीआई रखने क बात कही है ऐसे में रिलायंस जियो अब किसे रखेगी और किसे हटाएगी ये बड़ा सवाल है.

रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग जैसी विदेशी कंपनियों का भविष्य

एक तरफ जहां रिलायंस जियो पर सरकार के इस फैसले का कोई असर  होता दिख रहा है वहीं भारत में रॉयटर्स, ब्लूमबर्ग जैसी कंपनियों का क्या होगा जो भारतीय कंपनिय़ां तो नहीं है लेकिन भारत में इनकी पहुंच बहुत बड़ी है. दरअसल ये कंपनियां पूरी तरह भारत में रजिस्टर्ड नहीं है. ऐसे में सरकार के फैसले के बाद इन्हें भारत में अपने लिए कोई सहयोगी ढूंढना पड़ सकता है. अब सवाल उठता है कि क्या ऐसे में सरकार इन्हें भी निवेश सीमा का पालन करने को कह सकती है या ये भारत में अपने लिए कोई सहयोगी के साथ आगे बढ़ सकते हैं.

26 फीसदी के क्या है मायने

सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी भारतीय डिजिटल कंपनी में विदेशी फंडिंग केवल 26 फीसदी तक ही हो सकती है. अगर रिलायंस जियों के विदेशी निवेश पर एक नजर दौड़ाएं तो ये देखा जा सकता ये 26 फीसदी को पार कर चुका है. अब सवाल है कि मुकेश अंबानी जियो का निवेश कैसे कम करेंगे

रिलायंस जियो में 26 फीसदी से ज्यादा का विदेशी निवेश

कंपनी                             रकम (करोड़ रुपए में)      हिस्सेदारी

फेसबुक इंक                       43,572.62                  9.99%

सिल्वर लेक पार्टनर्स                5,655.75                   1.15%

विस्टा इक्विटी पार्टनर्स                 11,367                 2.32%

जनरल एटलांटिक                        6,598.38           1.34%

केकेआर                                       11,367             2.32%

मुबाडाला                                       9,093              1.85%

सिल्वर लेक                                   4,546               0.93%

अबुधाबी इन्वेस्टमेंट                       5,683.50           1.16%

टीपीजी                                            4.546              0.93%

एल कैटरटोन                                 1,894.50           0.39%

गूगल                                                33,737            7.3%

पीआईएफ                                       11,367             0.39%

इंटेल कैपिटल                                   1,894               0.39%

क्वालकॉम वेंचर्स                                 730               0.15%

गूगल, फेसबुक का क्या होगा

सरकार के इस फैसले से गूगल और फेसबुक ने रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स के जरिए जो भारत में पैर पसारने का सपना देखा था क्या अब वो खत्म हो जाएगा या फिर रिलायंस कोई दूसरा रास्ता निकालेगी क्योंकि जियो में सबसे बड़े निवेशकों में फेसबुक और गूगल भी शामिल है.

संस्थानों को देनी होंगी कई सूचनाएं

सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि 26 प्रतिशत से कम विदेशी निवेश वाली संस्थाओं को एक महीने के भीतर कई तरह की सूचनाएं देनी होंगी. मसलन, कंपनी, इकाई और उसके शेयरहोल्डिंग पैटर्न के बारे में विस्तृति जानकारी देनी होगी. कंपनी के प्रमोटर्स, निदेशकों, शेयरधारकों के नाम और पते मंत्रालय को उपलब्ध कराने होंगे. इसके साथ ही संस्थान का स्थाई खाता संख्या, ऑडिट रिपोर्ट के साथ नवीनतम प्रॉफिट एंड लॉस बैलेंस शीट की भी सूचना मंत्रालय को देनी होगी.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जारी की नोटिस

नोटिस में कहा गया है कि मौजूदा समय जिन संस्थानों में 26 प्रतिशत से अधिक एफडीआई है, उन्हें भी संबंधित सूचनाएं सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को उपलब्ध करानी जरूरी है. ऐसे संस्थानों को 15 अक्टूबर, 2021 तक एफडीआई को निर्धारित सीमा 26 प्रतिशत के नीचे लाकर मंत्रालय से अनुमति लेनी होगी. प्रत्येक संस्थान को निदेशक मंडल और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की नागरिकता की शर्तो का भी पालन करना होगा.

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