(वरिष्ठ पत्रकार योगेश पांडेय की कलम से)
2 दिन पहले उत्तराखण्ड के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। इस दौरान उत्तराखण्ड में भी भारतीय जनसंचार संस्थान यानी IIMC की ब्रांच खोलने पर चर्चा हुई। अगर यह प्रस्ताव रंग लाया तो वाकई में उत्तराखण्डके लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।
आइए सबसे पहले समझते हैं कि आखिरकार उत्तराखंड में IIMC होने के मायने क्या हैं ? तो इतना समझ लें कि जिस तरह इंजिनीयरनिंग में जाने वालों के किये IIT का महत्व है, जिस तरह प्रबंधन में करियर देखने वालों के लिए IIM का महत्व है, उसी तरह पत्रकारिता में करियर की चाह रखने वालों के लिए IIMC संस्थान का महत्व है। इस संस्थान को देश के टॉप पत्रकारिता संस्थानों में गिना जाता है।
अब ये भी सवाल उठता है कि आखिर उत्तराखण्ड में ही IIMC का कैंपस क्यों? तो ये जान लें कि पत्रकारिता और लेखन के क्षेत्र में उत्तराखण्ड के लोगों का लंबे अरसे से दबदबा रहा है। सुमित्रानन्दन पंत, शिवानी, मनोहर श्याम जोशी से लेकर बद्री दत्त पांडेय, मोहन जोशी, प्रभात डबराल तक ने लेखन व पत्रकारिता में अपना लोहा मनवाया है। आज के दौर में शायद ही कोई ऐसा राष्ट्रीय चैनल या समाचार पत्र हो जिसमें उत्तराखण्ड के युवा कार्यरत न हों। देखा जाय तो मीडिया इंडस्ट्री में बिहार के बाद सबसे ज्यादा उत्तराखण्ड के लोग ही नजर आएंगे। लिहाज ये भी जरूरी है कि अपने ही राज्य में लोगों को अपनी प्रतिभा तराशने के मौके मिलें।
IIMC का एक कैंपस अगर उत्तराखण्ड में खुलता है तो निश्चित रूप से पत्रकारिता में करियर बनाने के इच्छुक राज्य के सैकड़ों युवाओं को सीधा लाभ मिलेगा। उन्हें एक विश्वस्तरीय पत्रकारिता संस्थान में पढ़ने के लिए राज्य से बाहर नहीं जाना पड़ेगा। इस पहल के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी धन्यवाद के पात्र हैं।