देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। कोरोना ग्रसित सतपाल महाराज को लेकर इस समय उत्तराखंड ही नहीं बल्कि पूरे देश में चर्चा का माहौल बना हुआ है। ये मांग जोर पकड़ रही है कि सातपाल महाराज के खिलाफ मुकदमा दर्ज होम चाहिए। दरअसल महाराज ने होम क़्वारेनटाइन के नियम तो तोड़े ही हैं। जब पूरे प्रदेश में नियम तोड़ने वाले के खिलाफ आपदा अधिनियम के तहत मामले दर्ज हो रहे हैं तो महाराज को लेकर भी सवाल उठने लाज़मी हैं।
26 मई को महाराज को होम क़्वारेनटाइन होने के निर्देश दिए गए थे। उनके घर पर नोटिस भी चस्पा कर दिया गया था लेकिन इसके बावजूद महाराज कैबिनेट बैठक में शामिल हो गए।
इतना ही नही सातपाल महाराज ने अपने विधानसभा क्षेत्र बीरोंखाल में जा कर लोगों को खाद्य सामग्री भी बांटी। बाद में महाराज की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आयी।
अब शासकीय प्रवक्ता मैदान कौशिक बयान देकर महाराज का बचाव कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि महाराज ने कुछ भी नियमविरुद्ध नही किया। वे एक समाजसेवी हैं और उन्होंने समाजसेवा ही की हैं। महाराज अपने क्षेत्र में गए तो उनको वहां जाना ही था।
कौशिक इस तरह का कुतर्क देकर सिर्फ महाराज के पक्ष में खड़े नहीं हैं बल्कि खुद को भी बचने की जुगत में लगे हैं। दरअसल मदन कौशिक भी अपने इलाके में लोगों को खाद्य सामग्री बांटते दिखे । बाद में उस कार्यक्रम में मौजूद एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित मिला। हालांकि कौशिक उस से पहले की वहां से जा चुके थे पर उन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि वो कार्यक्रम में क्यों गए।
नेटवर्क 10 टीवी भी प्रमुखता से ये सवाल उठा रहा है और उठाएगा की सरकार आखिर महाराज के खिलाफ क्या एक्शन ले रही है और लेगी भी की नही। हमारे प्रमुख सवाल ये हैं।
1- होम क़्वारेनटाइन का नियम महाराज ने क्यों तोड़ा।
2-क़्वारेनटाइन के बीच वे कैबिनेट बैठक में क्यों गए।
3-क्या महाराज ने पूरे मंत्रिमंडल और बैठक में मौजूद अधिकारियों, कर्मचारियों और चपरासियों को खतरे में नही डाला।
4-सातपाल महाराज ने अपनी ट्रैवेल हिस्ट्री पहले क्यों नही बताई।
ये वो सवाल हैं जो महाराज पर दोष साबित करते हैं।
इधर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने महाराज के खिलाफ मुकदमा दायर करने की पुरजोर मांग की है। यूकेडी के नेता शांति प्रसाद भट्ट ने भी मांग की है कि महाराज पर गैर इरादतन हत्या का मुकदमा कायम किया जाना चाहिए।
आपको बता दें कि महाराज के मामले को नेटवर्क 10 टीवी ने ही सबसे पहले उठाया था। बाद में जब महाराज उर उनके परिवार के सदस्यों को एक दिन में ही एम्स से छुट्टी देने का फैसला हुआ तो नेटवर्क 10 टीवी ने ही इससे पर पुरजोर आपत्ति दर्ज की थी। बाद में सब जगह ये खबर उठी तो एम्स ने अपना फैसला वापस लिया और महाराज एंड फैमिली को हॉस्पिटल में ही रखने का फ़ैसला किया।