उत्तराखंड: यहां गुफा में एकसाथ विद्यमान हैं सैकड़ों शिवलिंग, कीजिये दर्शन

-सैकड़ो शिवलिगों के दर्शन एक साथ, गुफा मे ध्यान मग्न हैं मानेश्वर महादेव

(चमोली के थराली से सुभाष पिमोली की रिपोर्ट)

कहा जाता है कि प्रकृति का खेल व भगवान की माया इन दोनों को समझने में मानव के कई वर्ष बीत गए लेकिन इनके फेर को समझना बहुत मुश्किल है। कब प्रकृति व भगवान कौन से रूप में प्रकट हो जाएं व कहाँ प्रकट हो जायेंगे, यह भी समझना और कहना बमुश्किल है।

आज आपको हम एक विचित्र गुफा के बारे में बताते हैं। इस गुफा में सैकेडों शिवलिंग हैं। चमोली जिले के देवाल विकास खंड के मोपाटा गाँव मे एक ऐसी गुफा है जो लोगों के भगवान शिव के प्रति आस्था और विश्वास के साथ आकर्षण का केंद्र भी है। इसे लोग मानेश्वर महादेव के नाम से जानते हैं। हर वर्ष यहां मेला लगता है।

यहां हजारों शिव लिंग, दीवाल पर कमल के आकर के पुष्प रुपी आकृति, शंख की आकृतियां इसे बड़ा रोमांचित और रहस्यमय बना देती है। गुफा मे लगभग 300मीटर अंदर 30मीटर के आसपास एक बड़ा सा मैदान आकर्षण का केंद्र है। पिछले कुछ वर्षो से यह गुफा यहां के लोगों के लिये बड़ी चर्चा का बिषय रही है।

यहां जो शिवलिंग हैं वे लगभग एक मीटर तक ऊंचाई के हैं। गुफा का प्रवेश द्वार संकरा होने के कारण यहां अकेले जाने में लोगों को बहुत डर लगता है। गुफा के अंदर प्रवेश करने से पूर्व लोग गुफा के बाहर ढ़ोल दमाऊं शंख बजाते हैं। लोग इस गुफा के अंदर झुण्ड बनाकर जाते हैं।

गुफा मे प्रवेश करने के बाद लगभग 100 मीटर का रास्ता बड़ा दुर्गम है। जैसे-जैसे गुफा के अंदर आगे जाते हैं तो रास्ता सही होते जाता है। 300 मीटर चलने के बाद एक खुले मैदान के दर्शन होते हैं। साथ ही हजारों शिवलिंगो के दर्शन अचम्भित कर देते हैं।

पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेंद्र सिंह दानू बताते हैं कि ऐसी किवदंती है कि यहां पर पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान कुछ समय रहे। उनका कहना है यह गुफा कुमाऊ के पाताल भुवनेश्वर की तरह है। जानकारों का कहना है कि गुफा के अंदर दो रास्ते हैं। बायीं ओर का रास्ता भूस्खलन के कारण बंद हो गया, पर दाहिनी ओर का रास्ता बहुत संकरा है। बताते हैं पहले इसी रास्ते पांडव कुमाऊ के बागेश्वर जनपद के बालीघाट तक जाते थे जो अब लगभग बंद ही है।

क्षेत्र के पूर्व प्रमुख देवी दत्त कुनियाल बताते हैं कि यहां पर दीवालों में कमल के पुष्प की आकृति के कई फूल बने हैं। गुफा के अंदर चमगादङो का डेरा भी है। अब ग्रामीण हर वर्ष यहां पर अपने स्तर से पूजा अर्चना कर मेले का आयोजन करते हैं जो अब अपना बड़ा रूप लेते जा रहा है। सरकार चाहे तो इसको एक बड़े पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *