उत्तराखंड के गांवों और ग्रामीणों को उनके हाल पर मत छोड़ो सरकार !

देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। कोरोना काल में प्रवासी उत्तराखंडी लगातार गांव लौट रहे हैं। हजारों की तादात में लौट चुके हैं और लगातार आ रहे हैं। कोरोना के इस काल में डेढ़ लाख से ज्यादा प्रवासी गांव लौटने वाले हैं। इन सभी के गांव लौटने की खुशी सबको है, लेकिन एक बड़ा डर भी सभी को सता रहा है। वो ये कि कहीं ये खुशी किसी विकराल संकट में न तब्दील हो जाए।

सरकार, आपने गांव लौटने को इच्छुक प्रवासियों के लिए लौटने की व्यवस्था करके कुछ भी गलत नहीं किया, लेकिन जरा ये भी सोचना चाहिए था कि अगर इनमें कुछ कोरोना संक्रमित लोग लौटते हैं तो फिर क्या होगा। इसके लिए क्या व्यवस्थाएं की गई हैं। अब तक तो जो व्यवस्थाएं दिख रही हैं वो फौरी ही हैं। रेलवे स्टेशनों और पड़ाव स्थलों पर जहां प्रवासी लौट रहे हैं वहां उनकी स्क्रीनिंग जरूर की जा रही है लेकिन सभी की सैंपल जांच हो पाए इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।

दूसरी तरफ ये लोग जब गांवों में लौट रहे हैं तो नियमों का सख्ती से कोई पालन नहीं कर रहा है। गांवों के स्कूलोें और पंचायत भवनों में नाम के लिए क्वारंटाइन सेंटर्स तो बनाए गए हैं लेकिन यहां दादागीरी ज्यादा हो रही है। ग्राम प्रधानों को इन तमाम लोगों की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन सच्चाई ये है कि ज्यादातर गांवों में ग्राम प्रधान की कोई नहीं सुन रहा है। ऐसी तमाम रिपोर्टस आ रही हैं।

लोगों को गांवों में होम क्वारंटीन होने की भी सलाह दी गई है। इसके तहत जो लोग घर लौट रहे हैं वो अपने घर के बाहर और आसपास निडर होकर घूम रहे हैं। उनको कोई कुछ कहने वाला नहीं है। कोई कहता है तो बात झगड़े में  तब्दील हो जा रही है।

सरकार, पहले गुजरात के सूरत से उत्तरकाशी लौटा युवक कोरोना पॉजिटिव मिला। फिर गुरुग्राम से हल्द्वानी लौटी युवती भी पॉजिटिव निकली है। ऐसे मामले और भी सामने आएंगे। इन दो उदाहरणों से देवभूमि के ग्रामीण डरे हुए हैं। अब तक वो सभी सुरक्षित थे और किसी आशंका से नहीं घिरे हुए थे, लेकिन अब प्रवासियों के लौटने से उनके मन में खौफ पैदा हो गया है।

वैसे भी सरकार, ये तमाम वो लोग हैं जो परदेस में फंसे हुए नहीं थे, बल्कि वहां नौकरी कर रहे थे। कोरना काल में हर गरीब, जरूरत मंद की मदद स्थानीय प्रशासन के अलावा तमाम स्थानीय समाजसेवी संस्थाएं और लोग भी कर रहे हैं। कोई भूखा नहीं सो रहा है। फिर भी ऐसे वक्त में आपने प्रवासियों को वापस लाने की ठानी, इस पर सवालिया निशान नहीं है, लेकिन इन लोगों के लौटने पर उनके लिए समुचित व्यवस्था करना तो आपका ही काम है। अब भी वक्त है, कुछ करिए…. देवभूमि के गांवों और वहां के लोगों को उनके हाल पर मत छोड़िए…..

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