देहरादूनः पूर्व की सरकारों की तरह अब सूबे में मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर किसी तरह की हीला हवाली नहीं हो पाएगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने साफ एलान किया है कि अब वह हर माह स्वयं ही घोषणाओं की प्रगति समीक्षा करेंगे। आज वर्चुवली उन्होंने यह कार्य शुरू भी कर दिया है। इसमें सभी सत्तर विधान सभाओं के कार्यों को समयबद्धता और गुणवत्ता की कसौटी पर कसा जायेगा। मुखिया ने गंभीरता दिखाई तो काम में तेजी के लिए अब जिला स्तर पर भी अमला हरकत में आ गया है।
गौरतलब है कि आने वाले 18 मार्च को प्रदेश सरकार वर्तमान कार्यकाल के चार साल पूरे करने जा रही है। विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के शासन स्तर से प्रयास किए जा रहे हैं। यहां की सत्तर विधान सभाओं में मुख्यमंत्री की घोषणाओं की तादाद भी सैकड़ों में है। पिछली सरकारों की बात करें तो तब इस तरह के भी कई उदाहरण हैं कि जन दबाव के चलते मुख्यमंत्री घोषणाएं तो कर देते रहे, लेकिन उसके बाद उन कार्यों को अंजाम तक नहीं पहुंुचाया जा सका। सीएम की घोषणाओं में आए अवरोधों के पीछे कहीं वन अधिनियम की दिक्कतें सामने आई तो कईयों में सिस्टम की लापरवाही को जिम्मेदार माना गया। कारण चाहे जो भी रहा हो, लेकिन जनता को उसका लाभ नहीं मिल पाया। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
हाल ही मेें मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जो एलान किया है उससे साफ है कि अब विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के लिए सिस्टम को और फुर्ती से काम करना होगा। किसी भी लापरवाही के लिए सीएम त्रिवेंद्र कुछ भी सुनने के मूड में नहीं हैं। मुख्यमंत्री अब हर माह स्वीकृत विकास योजनाओं की स्वयं समीक्षा करेंगे। सूबे के विकास के मामले में सीएम त्रिवेंद्र ने दलीय राजनीति को दरकिनार कर यह सकारात्मक कदम उठाया है। नई व्यवस्था से सभी जनपदों के जिलाधिकारी भी एलर्ट हो गए हैं। जिन घोषणाओं में लेट लतीफी हो रही थी उसके जिम्मेदार अधिकारियों को जिला स्तर पर गुणवत्ता व समयबद्धता के लिए जिला स्तर पर ही निर्देश हो गए हैं। आज मुख्यमंत्री जी ने सचिवालय में पिथौरागढ़, बागेश्वर एवं चंपावत जिलों में अपनी घोषणाओं की समीक्षा के साथ ही इस कार्यक्रम की शुरूआत कर दी है। ऐसे में तय है कि सीएम त्रिवेेंद्र की इस नीति से प्रदेश के विकास के और बेहतर परिणाम सामने आएंगे।