इस दिन बंद होंगे यमुनोत्री, गंगोत्री और बदरीनाथ धाम के कपाट, सामने आई तारीख

चमोली: श्री बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 18 नवम्बर को शाम तीन बजकर 33 मिनट पर बंद हो जाएंगे। मंगलवार को विजय दशमी के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में आयोजित धार्मिक समारोह में मुख्य रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी को साक्षी मानकर कपाट बंद करने की तिथि की घोषणा की।

मंगलवार को विजय दशमी के अवसर पर आयोजित समारोह में बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की तिथि का निर्धारण किया गया। 18 नवम्बर को कपाट बंद होने के बाद 19 नवंबर को प्रातः श्री उद्धवजी एवं कुबेर जी योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर तथा आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी श्री नृसिंह मंदिर स्थित गद्दीस्थल को प्रस्थान करेगी।

श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि मंगलवार को विजयदशमी के अवसर पर बदरीनाथ मंदिर परिसर में आयोजित एक समारोह में धर्माचार्यों, तीर्थ पुरोहितों व हक-हकूकधारियों की उपस्थिति में पंचांग गणना के पश्चात कपाट बंद होने की तिथि निर्धारित की गई। इस समारोह का साक्षी बनने के लिए हजारों श्रद्धालु धाम में उपस्थित थे। अब तक रिकॉर्ड 16 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान बदरी विशाल के दर्शन कर चुके हैं।

यमुनोत्री के कपाट 15 नवंबर को भैया दूज के अवसर पर सुबह 11 बजकर 57 मिनट पर बंद होंगे। यमुनोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश उनियाल ने बताया कि मंगलवार को विजयदशमी के दिन यमुनोत्री धाम में पंडा, तीर्थ पुरोहितों ने पंचांग गणना कर उक्त घोषणा की है।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में स्थित चार धामों में प्रथम धाम यमुनोत्री के कपाट 15 नवंबर को भैया दूज के पावन पर्व पर 11 बजकर 57 मिनट पर अभिजीत मुहूर्त (मकर लग्न) में विशेष पूजा-अर्चना के बाद शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। उसके बाद शीतकाल में मां यमुना के दर्शन खरसाली (खुशीमठ) में होंगे। इसी तरह केदारनाथ धाम के कपाट भी 15 नवंबर को बंद होंगे। जबकि गंगोत्री धाम के कपाट इससे एक दिन पहले 14 नवंबर को बंद हो जाएंगे।

 

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