जब बच्चों को दिखी हैंडल पैंडल

टनकपुर: उत्तराखंड के चंपावत जिले के टनकपुर में पहली बार बच्चों के लिए किताब कौथिग लगाया गया। कौथिग में जलेबी, पकौड़ी, खिलौने और अब तो चाउमीन की ही धूम रहती है। बच्चे इन्हीं चीजों पर टूटते हैं, लेकिन टनकपुर का ये कौथिग अलग रहा।

‘किताब कौथिग’ की आज पूरे देश में चर्चा हो रही है। किताबों का मेला। बुक फेयर बहुत पहले से दिल्ली और दूसरे शहरों में आयोजित होते रहे हैं। उत्तराखंड में भी बुक फेयर आयोजित होते हैं लेकिन देहरादून तक ही। पहली बार बुक फेयर ही मान लीजिए ये बच्चों के लिए आयोजित हुआ टनकपुर में। पहाड़ में पहाड़ की भाषा का नाम ‘ किताब कौथिग’।

इस कौथिग यानी मेले को बच्चों के लिए ही आयोजित किया गया था। उद्देश्य था बच्चों को किताबों से जोड़ने का। इस कौथिग में पहाड़ के जन्मे और वर्तमान में PCS अधिकारी मितेश्वर आनंद की किताब ‘हैंडल पैंडल’भी थी। बच्चों के लिए लिखी गई, बच्चों की हैंडल पैंडल उनको अपनी ओर खींच ले गयी। किताब का कवर पेज देखकर ही बच्चे खिंचे चले आये, फिन नाम तो बच्चों के हैंडल पैंडल का था ही।

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