भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और विश्व बैंक ने बुधवार को कोलकाता, पश्चिम बंगाल में जल परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार के लिए 10.5 करोड़ डॉलर (करीब 777 करोड़) की परियोजना पर हस्ताक्षर किए. इस प्रोजेक्ट पर काम पूरा होने से हुगली नदी पर यात्री सेवा और माल की ढुलाई सुविधाजनक होगी. इसी के साथ कोलकाता महानगर क्षेत्र में इस प्रोजेक्ट से कई सुधार देखे जाएंगे. इससे वहां के लोगों की जिंदगी में सुधार होगा और राज्य के लॉजिस्टिक क्षेत्र में तेजी से विकास देखा जाएगा.
सरकार का पूरा ध्यान जलमार्ग को विकसित करने पर है क्योंकि इससे कई आसान सुविधाएं लोगों को मिल सकेंगी. परिवहन का खर्च तो घटेगा ही, दुर्घटना और उससे होने वाली मृत्यु दर को भी घटाया जा सकेगा. परिवहन की यह सुविधा पर्यावरण अनुकूल भी होगी. यह परियोजना पश्चिम बंगाल में नदी परिवहन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार लाएगी. साथ ही इससे दूरदराज के क्षेत्रों को कोलकाता के बाजारों और रोजगार केंद्रों से जोड़कर राज्य के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी.
इस परियोजना में कोलकाता महानगर क्षेत्र (केएमए) सहित दक्षिणी पश्चिम बंगाल के पांच सबसे ज्यादा आबादी वाले जिलों को शामिल किया जाएगा. इन इलाकों में लगभग 3 करोड़ या पश्चिम बंगाल की एक तिहाई आबादी रहती है. भारत में विश्व बैंक के कंट्री निदेशक जुनैद अहमद ने इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि परिचालन से बंगाल में जलमार्गों के जरिये फेरी सेवा शुरू हो सकेगी. कोलकाता की रणनीतिक स्थिति को देखते हुए परियोजना से यह महानगर क्षेत्र आसपास के इलाकों के लिए एक परिवहन और लॉजिस्टिक हब के रूप में उभरने जा रहा है. इस प्रोजेक्ट की मदद लेकर ईडीएफसी के उपयोग से पूर्वोत्तर और नेपाल एवं भूटान को जोड़ने की तैयारी है.
क्या है प्रोजेक्ट का पूरा प्लान
इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में देश के अंदर जल परिवहन प्रणाली की क्षमता बढ़ेगी और सुरक्षा में सुधार होगा. मौजूदा घाटों के विकास सहित उन्नत डिजाइन की नई फेरी खरीदी जाएंगी और 40 स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक गेट लगाए जाएंगे. दूसरे चरण में, टर्मिनलों और घाटों सहित यात्री आवाजाही के लिए निवेश बढ़ाया जाएगा. सबसे ज्यादा खतरनाक और व्यस्त रूटों पर रात में भी परिवहन की सुविधा मिलेगी. रो-रो जहाजों में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा मिलेगा जिससे हुगली नदी पर ट्रकों की आवाजाही आसान हो जाएगी.
भारी बारिश और बाढ़ से बेहतर तरीके से पार पाने के लिए यात्री टर्मिनलों पर फेरी की एंट्री के लिए मॉड्यूलर फ्लोटिंग डिजाइन बनाई जाएगी. इस डिजाइन में क्लाइमेट-स्मार्ट इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट से दिव्यांगों के लिए खास सुविधाएं मिलेंगी, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी और आईडब्ल्यूटी विभाग के साथ ही फेरी ड्राइवर के काम में महिलाओं के रोजगार को बढ़ावा दिया जाएगा.
नेपाल-भूटान तक सप्लाई
वर्तमान में 80 प्रतिशत से ज्यादा माल और यात्री यातायात कोलकाता के तीन पुलों के माध्यम से गुजरता है. इस व्यस्तता को कम करने के लिए शहर ने ट्रकों की आवाजाही को बंदरगाह से कुछ पुलों तक सीमित कर दिया है और सीमित घंटों के दौरान बंदरगाह तक पहुंच घटा दी है और ढुलाई की लागत बढ़ा दी है. इस प्रोजेक्ट से नेपाल और भूटान के लिए भी सप्लाई बढ़ सकेगी. सरकार की योजना है कि बंगाल के घाट यात्री और माल दोनों के लिए सार्वजनिक परिवहन का एक अच्छा माध्यम उपलब्ध करा सकता है.
ऑपरेशन कॉस्ट में कमी आएगी
जलमार्ग के विकास से सड़क से यात्रा की तुलना में परिचालन लागत (ऑपरेशन कॉस्ट) और यात्रा के समय में बचत होगी. मौजूदा फेरी व्यवस्था सिर्फ 2 प्रतिशत से भी कम यात्री यातायात और माल माल सप्लाई के एक हिस्से को सेवाएं देती है. नदी परिवहन के विकास से राज्य की बड़ी जनसंख्या को जलमार्गों की मदद मिलेगी, रसद और यात्रियों दोनों के लिए परिवहन के मल्टी मॉडल विकल्प मिलेंगे. साथ ही दूरदराज के इलाकों को कोलकाता मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के बाजारों और रोजगार के केंद्रों से जोड़ने और लॉजिस्टिक हब के रूप में उभरने में सहायता मिलेगी.