(वरिष्ठ पत्रकार अविकल थपलियाल की कलम से)
-उत्तराखंड के 16 हजार विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित अध्यापकों को मान्यता
उत्तराखंड के 16 हजार विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षित शिक्षकों को मान्यता का मसला श्रेय की भूल भुलैया में लटक गया। वास्तव में लम्बे समय से लटके विशिष्ट बीटीसी अध्यापकों का मसला राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने मुकाम तक पहुंचाया या फिर केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक या फिर मुख्यमन्त्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने। यह चर्चा अब जोर पकड़ गयी है। शुरुआती रुझान में निशंक व अनिल बलूनी के बीच सेहरा पहनने की होड़ मची है।
दरअसल, शुक्रवार की सुबह केंद्रीय मंत्री निशंक के हवाले से विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों को मान्यता मिलने की खुशखबरी मिली। कमोबेश सभी अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से स्थान दिया। दोपहर सवा बजे के आसपास राज्यसभा अनिल बलूनी ने फेसबुक में इस बाबत पूर्व में किये गए प्रयासों की झलक पेश की। बलूनी ने फेसबुक में 14 नवंबर 2018 सांय 4 बजकर 49 मिनट पर पोस्ट की गई अपनी कोशिशों को फिर से आज शेयर किया।
इस पोस्ट में राज्यसभा सदस्य बलूनी तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को 16 हजार विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों की मान्यता सुलझाने सम्बन्धी ज्ञापन दे रहे है (देखें चित्र)। यही नही बलूनी ने मार्कर से 2018 की तारीख को चिन्हित भी किया।
आज की पोस्ट में बलूनी ने मामला सुलझने पर 16 हजार शिक्षकों को बधाई भी दी है। इसमें कोई दोराय नही कि राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी ने यह मामला अपने स्तर पर उठाया था। लेकिन तत्काल कोई निर्णय नही हो पाया था। हालांकि, जनवरी 2019 में राज्यसभा में एक्ट संशोधित हो गया था। लेकिन मई 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद भी यह मसला लंबे समय तक लंबित रहा। इस बीच, राज्य सरकार की कोशिशें भी जारी रही। लेकिन सही मायने में 15 मई की सुबह ही इन शिक्षकों के बहुप्रतीक्षित मामले के होने की जानकारी मिली। इस खबर के साथ केंद्रीय मंत्री निशंक का फोटो बयान छपते ही श्रेय की होड़ में तेजी देखी जाने लगी।
इधर, राज्य के शिक्षा सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने यह जानकारी देते हुए बताया कि अन्य राज्यों को भी ऐसी राहत दी गयी है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इस सम्बन्ध में अधिसूचना जारी कर दी। बधाइयों के दौर के बीच सांसद अनिल बलूनी की पोस्ट से यह सवाल भी खड़े हो गए हैं कि आखिर इस समस्या को सुलझाने वाला असली नायक कौन है? ताज किसके सिर पर सजाया जाय। केंद्रीय मंत्री निशंक, सांसद बलूनी या फिर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ?