देहरादून: विश्व धरोहर फूलों की घाटी सोमवार को शीतकाल के लिए पर्यटकों के लिए बंद कर दी गई है। हर साल 1 जून को खुलने वाली यह घाटी, 31 अक्टूबर को बंद कर दी जाती है। इस वर्ष घाटी में सबसे अधिक पर्यटकों के आने का रिकॉर्ड है, इस बार करीब 19,436 पर्यटक यहां का दीदार करने पहुंचे, जिसमें 330 विदेशी पर्यटक भी शामिल थे। इस सीजन में पार्क प्रशासन ने 39 लाख 39 हजार 250 रुपये की आमदनी हासिल की।
फूलों की घाटी की वनक्षेत्राधिकारी चेतना कांडपाल ने जानकारी देते हुए बताया कि इस साल घाटी में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे। इस वजह से विभाग को अच्छा राजस्व प्राप्त हुआ। घाटी में वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए पांच ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। विभाग की टीम घाटी बंद होने के बाद भी समय-समय पर घाटी का निरीक्षण करने के लिए जाती रहेगी। इस घाटी की खोज ब्रिटिश पर्वतारोही फ्रैंक एस स्मिथ और उनके साथी आरएल होल्ड्सवर्थ ने की थी। बताया जाता है कि वो अपने एक अभियान से लौट रहे थे। साल 1931 का वक्त था, जब वो यहां की खूबसूरती और फूलों को देख कर इतने अचंभित और प्रभावित हुए कि कुछ समय उन्होंने यहीं पर बिताया। इतना ही नहीं वह यहां से जाने के बाद एक बार फिर से 1937 में वापस लौटे और यहां से जाने के बाद एक किताब भी लिखी, जिसका नाम वैली ऑफ फ्लावर रखा।
घाटी में जुलाई से अक्तूबर तक 300 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी 3 किलोमीटर लंबी और लगभग आधा किलोमीटर चौड़ी है। यहां पर आने के लिए जुलाई, अगस्त और सितंबर के महीने सबसे बेहतर रहते हैं। यहां पोटोटिला, प्रिम्यूला, एनीमोन, एरिसीमा, एमोनाइटम, ब्लू पॉपी, मार्स मेरी गोल्ड, ब्रह्म कमल, फैन कमल जैसे कई फूल खिले रहते हैं। सर्दियों में घाटी में बर्फ जमने के कारण इसे बंद कर दिया जाता है, और अगले साल गर्मियों में फिर इसे पर्यटकों के लिए खोला जाएगा।