नई टिहरी: कोरोना के खिलाफ जंग में एक से बढ़कर एक मिसाल भी सामने आ रही हैं। पुलिसवालों ने सड़कों पर मोर्चा संभाल रखा है तो अस्पतालों में डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ भगवान के रूप में लोगों की जान बचा रहे हैं। उत्तराखंड की एक डॉक्टर बेटी ने भी ऐसे में मिसाल बेमिसाल कायम की है।
इस बेटी का नाम है डॉ अंकिता अग्रवाल। अंकिता अग्रवाल देहरादून की रहने वाली हैं। वे वर्तमान में टिहरी जिले के प्रतापनगर ब्लॉक स्थित लंबगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात हैं। देहरादून निवासी अंकिता 31 मार्च तक मातृत्व अवकाश पर थीं, लेकिन जब उन्हें लगा वर्तमान में बीमारों की सेवा से बड़ा फर्ज कोई नहीं है तो 15 मार्च को ही ड्यूटी पर लौट आईं। उन्होंने आठ माह के बच्चे को अपनी मां के पास छोड़ दिया।
कोरोना संक्रमण के चलते वर्तमान में अस्पतालों पर भारी दबाव है। ऐसी स्थिति में चिकित्सकों व स्टाफ को परिवार के लिए भी वक्त नहीं मिल पा रहा। सीएचसी में मरीजों की कठिनाइयों की जानकारी जब दंत चिकित्सक डॉ. अंकिता को मिली, तब वह मातृत्व अवकाश पर थीं।
बकौल अंकिता- मुझे लगा कि यह कठिन दौर छुट्टियां बिताने का नहीं है। इसलिए समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते मैं बीते 15 मार्च को सीएचसी पहुंची और ड्यूटी ज्वाइन कर ली। हालांकि, मेरा अवकाश 31 मार्च तक था।
सीएचसी में पदस्थ फार्मेसिस्ट जयवीर सिंह राणा ने बताया कि हालांकि सीएचसी में कोरोना संभावितों के लिए क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। अभी बाहर से आए लोगों को होम क्वारंटाइन ही किया गया है। बावजूद इसके सीएचसी के स्टाफ को हर समय मुस्तैद रहना पड़ता है। इसी बात को समझते हुए डॉ. अंकिता मातृत्व अवकाश रद करना बेहतर समझा।