उत्तराखंड: पहली बार प्रदेश को इतना बड़ा कर्ज लेने की जरूरत आन पड़ी है, इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ

देहरादून (नेटवर्क 10 टीवी डेस्क)। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि राज्य की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य को हजारों करोड़ रुपये का कर्ज लेने की जरूरत पड़ गई है। दैनिक जागरण की एक स्पेशल रेपोर्ट में बताया गया है कि  हालात ऐसे हो गए हैं कि उत्तराखंड राज्य को 10 से 12 हजार करोड़ का कर्ज लेने की नौबत आन पड़ी है।

बताया गया है कि अप्रैल महीने में राज्य के राजस्व के सारे रास्ते बंद हो गए और इस वजह से पूरी आर्थिकी डगमगा गई है। ऐसा पहली बार हुआ है जब डेढ़ महीने के लॉकडाउन के दौरान ही राज्य की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की कुल आमदनी के 60 फीसद से ज्यादा हिस्सेदार करों से होने वाली आय है। बताया गया है कि करों की वसूली 15 फीसदी भी नहीं हो पाई है और राज्य के जरूरी खर्चे जरा भी कम नहीं हुए हैं। इन खर्चों की पूर्ति के लिए कर्ज की जरूरत है।

रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के इतिहास में पहली बार इस साल बाजार से 10 से 12 हजार करोड़ का कर्ज लेने की नौबत आ गई है और इसके लिए प्रदेश सरकार ने कोशिश करनी भी शुरू कर दी है। बताया गया है कि राज्य सरकार रिजर्व बैंक से कर्ज की सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली है और इसके लिए जल्दी ही केंद्र सरकार और आरबीआई को प्रस्ताव भेजने की तैयारी हो रही है।

राज्य के पास सीमित हैं आय के साधन

आपको बता दें कि उत्तराखंड राज्य में आमदनी के बेहद सीमित संसाधन है। पर्यटन और शराब बिक्री से राज्य को अच्छी आय होती है, लेकिन 22 मार्च से ही प्रदेश में शराब की बिक्री प्रतिबंधित हो गई और अब जाकर 4 मई को शुरू हुई। पर्यटन उद्योग भी ठप पड़ गया। चारधाम यात्रा शुरू नहीं हो पाई। ये प्रदेश में पर्यटन का पीक टाइम है। इसके अलावा केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के साथ ही विभिन्न योजनाओं में केंद्र से मिलने वाली मदद समेत केंद्र सरकार के राजस्व अनुदान के बूते राज्य को अपने खर्चों को निपटाने में मदद मिलती रही है। यह हिस्सेदारी कुल आमदनी का 30 फीसद से ज्यादा है, लेकिन करों से होने वाली आमदनी ठप पड़ी है। बताया गया है कि मार्च महीने के दूसरे पखवाड़े और अप्रैल माह में प्रदेश को जीएसटी से सिर्फ 88 करोड़ मिले। जबकि इससे प्रतिमाह करीब 450 करोड़ की आमदनी होती है।

शराब की बिक्री से राज्य को करीब 270 करोड़ का राजस्व मिलता था जो कि अब तक नगण्य है। स्टांप-रजिस्ट्रेशन और व्हीकल टैक्स के रूप में जो आय राज्य को मिलती थी वो सब ठप पड़ी है। खनन, परिवहन, वन उत्पादों समेत विभिन्न करों की वसूली भी जीरो रही।

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