हल्द्वानी। कोरोना संक्रमण से जूझ रहे उत्तराखंड के गांवों के लिए नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक के खलाड़ गांव ने मिसाल पेश की है। यह उत्तराखंड का पहला ऐसा गांव है, जहां पंचायत ने खुद अपनी अलग गाईडलाइन बनाई है। सभी गांववाले इस गाइडलाइन को फॉलो करते हैं। इसी का नतीजा है कि कोरोना महामारी की प्रचंड दूसरी लहर में भी कोरोना संक्रमण यहां नहीं आ सका है, जबकि आसपास के कई गांवों में कोरोना से हाहाकार मचा है। केरोना महामारी को मात देने के लिए मुख्य सडक़ से करीब चार किमी दूर स्थित इस गांव की प्रधान नीरु बधानी ने ग्रामीणों के साथ मिलकर कुछ नए नियम तय किए। पहले उन्होंने खुद लोगों को वायरस के बारे में जागरूक किया फिर ग्रामीणों को चेताया कि अगर वायरस गांव में पहुंचा गया तो बड़े-बूढ़ों के साथ बच्चों और मवेशियों के लिए भी जानलेवा होगा। ग्रामीणों ने वायरस की भयानकता को समझते हुए एकजुट होकर कुछ नियम और शर्तें तय कीं। इसका सख्ती से पालन किया, जिसके फलस्वरूप यहां आज तक कोरोना का एक भी केस नहीं मिला। प्रधान नीरु ने बताया कि सितंबर में जब ब्लॉक में कोरेाना के मामले बढ़ गए तो नया नियम बनाया गया कि गांव में आने से पहले हर व्यक्ति की कोरेाना जांच नेगेटिव लानी होगी। गांव वालों को नियम के फायदे समझाए। यह नियम आज तक चल रहा है। इसके लिए ग्राम प्रहरियों और वार्ड सदस्यों को जिम्मेदारी भी दी गई है। गांवों में कोविड की निगरानी राजस्व उपनरीक्षक भी कर रहे हैं। यहां के राजस्व उपनिरीक्षक विजय नेगी के अनुसार आज तक गांव में एक भी कोरेाना पॉजिटिव मरीज नहीं मिला है। गांववालों ने खुद के प्रयास से यहां काफी अच्छी व्यवस्था बनाई, जिसका यह परिणाम है। गांव में खुद का एक क्वारंटाइन सेंटर भी है, जहां करीब 20 से अधिक लोग लाभ उठा चुके हैं।
खपत बढ़ी तो खुद सब्जी फलों का उत्पादन बढ़ाया
खलाड़ के ग्रामीण अपनी उगाई सब्जियां ही खाते हैं। यहां हर प्रकार की सीजनल सब्जियां उगाई जा रही हैं। जब बाकीगांव के लोग कोरेाना से जूझ रहे थे तो खलाड़ के लोग अपनी जागरूकता के बीच सब्जी उत्पादन बढ़ा रहे थे। ग्राम पंचायत अधिकारी पीतांबर आर्य के अनुसार जरूरत का बाकी सामान बाजार से आता है। वह भी पूरी एहतियात के साथ। गांव में हुई तीन बारातों में भी कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा पालन किया गया है। यह वजह रही कि विवाह समारोह के बावजूद यहां आज तक कोई कोविड का मामला सामने नहीं आया।
क्या कहती है खलाड़ की एसओपी
– बाहर से आने वाले हर व्यक्ति को कोविड निगेटिव रिपोर्ट लानी अनिवार्य
– गांव से बाहर बने भवन में 14 दिन रहना होगा। भोजन-पानी परिवार देगा।
– गांव में ही उगने वाली सब्जी और फलों का अधिक प्रयोग करना होगा।
– हर घर में बुखार दवा रहेगी। बाहर से आने वाला हर सामान धोना होगा।