देहरादून। कोशिशें परवान चढ़ी तो निकट भविष्य में अखरोट उत्पादन उत्तराखंड में ग्रामीण आर्थिकी को संवारने का बड़ा जरिया बनेगा। सूबे में अखरोट उत्पादन की अपार संभावनाओं को देखते हुए सरकार इसके लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस कड़ी में जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी (जायका) से वित्त पोषित एकीकृत कृषि बागवानी योजना के तहत टिहरी जिले के मगरा फार्म को अखरोट का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के तौर पर विकसित करने की तैयारी है।
देशभर में अखरोट की 70 हजार मीट्रिक टन से अधिक की मांग है, जबकि उत्पादन इससे कहीं कम है। देश में अखरोट का जो उत्पादन हो रहा है, उसमें लगभग 92 प्रतिशत की भागीदारी अकेले जम्मू-कश्मीर की है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में अखरोट उत्पादन नाममात्र का है। यह तब है, जबकि यहां अखरोट उत्पादन के लिए परिस्थितियां मुफीद हैं। इस सबको देखते हुए सरकार ने अखरोट को आर्थिकी का जरिया बनाने के मद्देनजर इसके उत्पादन को बढ़ावा देने की ठानी है। इस कड़ी में मगरा, मसूरी समेत राज्य में करीब एक दर्जन स्थानों पर नर्सरी स्थापित की गई हैं, जिससे जनसामान्य को अखरोट की पौध आसानी से उपलब्ध हो सके।
अब सरकार एक और बड़ा कदम उठाने जा रही है, जिसके तहत मगरा फार्म को अखरोट का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाया जा रहा है। इस सेंटर में अखरोट की विभिन्न प्रजातियों को विकसित करने के साथ ही वृहद पैमाने पर पौध भी तैयार की जाएगी। फिर इसे प्रदेश के विभिन्न जिलों में वितरित किया जाएगा।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने बतया कि किसानों की आय दोगुना करने के लिए सरकार मुस्तैदी से जुटी है। इसी क्रम में अखरोट उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय बढ़ने के साथ ही ग्रामीण आर्थिकी भी सशक्त होगी। इस मुहिम को गति देने में मगरा का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस मुख्य भूमिका निभाएगा। अखरोट का उत्पादन बढ़ने पर इसके विपणन समेत अन्य पहलुओं पर भी विचार किया जा रहा है।
राज्य में अखरोट
जिला, क्षेत्रफल, उत्पादन
टिहरी, 4824.35, 1179.91
अल्मोड़ा, 2824, 8486
देहरादून, 2777.06, 4099
पौड़ी, 2149.24, 1467.16
पिथौरागढ़, 1942, 1644
उत्तरकाशी, 1454.34, 1156.75
चमोली, 622.02, 931.15
बागेश्वर, 407.19, 956.23
रुद्रप्रयाग, 327.50, 63.75
चंपावत, 281, 64
नैनीताल, 120.5, 309.77
(नोट: क्षेत्रफल हेक्टेयर और उत्पादन मीट्रिक टन में)