देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने भी ब्लैक फंगस को अब महामारी घोषित कर दिया गया है। इस संबंध में उत्तराखंड शासन ने आदेश जारी कर दिए गए हैं।
बता दें कि ब्लैक फंगस से प्रदेश में मरने वाले मरीजों की संख्या पांच हो गई है। एम्स ऋषिकेश में अब तक ब्लैक फंगस के 61 केस मिले हैं। एम्स ऋषिकेश में कुछ दिनों पहले उत्तर प्रदेश के मेरठ निवासी 64 वर्षीय और उत्तराखंड के देहरादून निवासी 65 वर्षीय कोविड संक्रमित को भर्ती कराया गया था।
क्या है महामारी का अर्थ?
जब कोई बीमारी लोगों के बीच एक-दूसरे को संक्रमित करती है, साथ ही उस बीमारी से होने वाली मौत, इंफेक्शन या उससे प्रभावित देशों की संख्या के आधार पर उसे महामारी घोषित कर दिया जाता है। महामारी घोषित करने का फैसला विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को लेना होता है। महामारी पर नियंत्रण करना बहुत मुश्किल होता है। यह धीरे धीरे पूरे विश्व में अपना पैर पसारती है। कोरोना संक्रमण से पहले भी चेचक, हैजा, प्लैग जैसी बीमारियां महामारी के रूप में घोषित की जा चुकी हैं।
क्या होंगे बदलावय़
जब किसी बीमारी को महामारी घोषित किया जाता है तो इसका मतलब होता है कि यह बीमारी पूरे विश्व के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। स्वास्थ्य महकमे को इससे सम्बन्धित पूरी तैयारियां करनी पड़ती हैं और इसके प्रति सचेत होना पड़ता है। महामारी रोग अधिनियम 1897 के तहत ब्लैक फंगस को भी महामारी घोषित करने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों को कहा था।
1897 में जब देश में अंग्रेजी हुकूमत थी तब महामारी ऐक्ट बनाया गया था। खतरनाक बीमारियों के फैलने पर अंकुश लगाना एवं स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर से बेहतर बनाना इस कानून के तहत अनिवार्य है। महामारी घोषित होने के बाद महामारी ऐक्ट के नियमों का सभी राज्यों को पालन करना होता है। राज्यों द्वारा निर्धारित नियमों को न मानने पर इस एक्ट के तहत दण्डित किए जाने का भी प्रावधान है।
इस महामारी एक्ट के तहत ट्रेन, बस या अन्य यात्रा संसाधनों से यात्रा करने वाले लोगों की निगरानी करना एवं संक्रमित व्यक्ति को अस्पताल या अस्थाई आवास में रखवाने का प्रशासन की जिम्मेदारी होती है। महामारी ऐक्ट अधिनियम के निर्देश की अवहेलना करने की दशा में इसे अपराध की श्रेणी में माना जाएगा और भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी।
इस ऐक्ट के तहत सरकार द्वारा टीके और दवाओं के वितरण के साथ सम्पूर्ण स्वास्थ्य व्यवस्था किए जाने का प्रावधान है। संबधित महामारी के दौरान जिले के समस्त प्राइवेट व सरकारी अस्पतालों को पूरी जानकारी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को देनी होगी।