देहरादून : उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ के अवसर पर वेबिनार का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये यूसर्क के निदेशक डॉ महेंद्र प्रताप सिंह बिष्ट ने बताया कि इस वर्ष ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ को ‘पर्वतीय जैवविविधता’ विषयक थीम को लेकर मनाया जा रहा है। डॉ बिष्ट ने हिमालयी जैवविविधता के संरक्षण हेतु युवाओं को आगे आ कर कार्य करने का आवाहन किया, यूसर्क द्वारा विज्ञान शिक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण विषयक कार्य को किया जा रहा है। राज्य सरकार तथा केन्द्र सरकार कीे महत्वपूर्ण परियोजना जैसे कि जलशक्ति मिशन, स्वच्छता अभियान, जलस्रोत पुर्नजीविकरण तथा अन्य पर्यावरण एवं विज्ञान से सम्बन्धित कार्यक्रमों का लाभ आम जनमानस तक पहुंचाने के लिये यूसर्क कार्य करेगा। उन्होंने कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जनपदों से जुड़े छात्र-छात्राओं को शोध एवं अनुसंधान के माध्यम से उत्तराखण्ड के दूरस्थ क्षेत्रों में पलायन, पर्यावरण, कृषि, सूखते जलस्रोत, रोजगार सृजन इत्यादि से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिये भी प्रेरित किया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट द्वारा मुख्य व्याख्यान दिया गया। कर्नल बिष्ट ने ‘अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस’ को मनाये जाने के सन्दर्भ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा किये गये कार्य के पूर्व इतिहास पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पर्वतों का संरक्षण वर्तमान समय की एक मुख्य आवश्यकता है। कर्नल अमित बिष्ट ने बताया कि किस प्रकार मनुष्य अपनी मानवीय गतिविधियों में परिवर्तन एवं नियंत्रण करके हिमालयी पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकता है। अनियंत्रित गतिविधियां हमारे पर्वतीय जलस्रोतों, जंगलों एवं पर्वतीय जैवविविधता को हानि पहुंचाते है, तथा पर्यटन, पर्वतारोहण अथवा अन्य प्रकार की मानवीय गतिविधियों को नियंत्रित रूप से पर्यावरण को ध्यान में रखते हुये एवं शासकीय नियमों के अनुसार ही करना चाहिये साथ ही साथ पर्यावरण की स्वच्छता एवं संरक्षण पर विशेष रूप से चिंतन एवं कार्य करना करने की आवश्यकता है।
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान के उपप्रधानाचार्य ले0 कर्नल योगेश धूमल ने पर्यावरण संरक्षण हेतु कार्य करने का आहवान किया, कहा कि भूमण्डलीय ताप वृद्धि को रोकने, अपशिष्ट के उचित निस्तारण हेतु आम जनमानस को भी जागरूकता के साथ प्रयास करना चाहिये जिससे प्राकृतिक आपदाओं को रोकने में मदद मिल सके।
कार्यक्रम में निम के रजिस्ट्रार डा0 विशाल रंजन ने कहा कि हमारे पास बहुत से प्राकृतिक संसाधन हैै जिनका उपयोग वैज्ञानिक ढंग से आवश्यकतानुसार ही करना चाहिये तथा ग्रीन टूरिज्म पर विशेष रूप से ध्यान देने का आहवान किया जिससे पर्वतीय जैवविधिता का संरक्षण करने में मदद मिल सके। कार्यक्रम का संचालन करते हुये यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ने बताया कि यूसर्क द्वारा जल संरक्षण हेतु आम जनमानस को जागरूक करने हेतु जल साक्षरता एवं जल शिक्षा कार्यक्रम को चलाया जा रहा है तथा पर्यावरण संरक्षण हेतु स्मार्ट ईको क्लबों की स्थापना प्रदेश के 65 विद्यालयों में भी किया गया है ।
कार्यक्रम के अंत में प्रश्न उत्तर सत्र में प्रतिभागियों के द्वारा पूछे गये सभी प्रश्नों का विशेषज्ञों एवं निदेशक यूसर्क द्वारा समाधान किया गया। उक्त कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जनपदों से 900 से अधिक छात्र-छात्राओं एवं शिक्षकों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर भाग लिया ।
कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा, डा0 मन्जू सुन्दरियाल, डा0 राजेन्द्र सिंह राणा, डा0 बिपिन सती तथा आई.सी.टी. टीम के उमेश चन्द्र, राजदीप जंग, ओम जोशी, शिवानी पोखरियाल, हरीश ममगांई, राजीव बहुगुणा, विक्रात पठानिया ने भी प्रतिभाग किया।