एक अनूठी परियोजना में यूपी पुलिस अपराध की रोकथाम के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का सहारा लेने जा रही है. इस परियोजना में 200 हॉटस्पॉटों पर स्पेशल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरे लगाए जाएंगे. ये कैमरे चेहरे के भाव पढ़ने में सक्षम होंगे और संकट में किसी महिला के चेहरे के भाव पढ़कर कंट्रोल रुम को आगाह करेंगे.
यह परियोजना उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अक्टूबर 2020 में शुरू किए गए कार्यक्रम मिशन शक्ति और केंद्र सरकार की सेफ सिटी परियोजना का हिस्सा है. लखनऊ के पुलिस आयुक्त, डीके ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि हमने शहर में महिलाओं की उपस्थिति , महिला लाइन 1090 की शिकायतों और यूपी 112 की शिकायतों के आधार पर 200 हॉटस्पॉटों की पहचान कर ली है.
कंट्रोल रुम से जुड़े होंगे कैमरे
ठाकुर ने बताया कि शहर में महिला पुलिस द्वारा द्वारा 31 पिंक बूथ, 10 पेट्रोलिंग कार, 100 स्कूटी प्रबंधित की जाती है. उन्होंने बताया कि लखनऊ उत्तर प्रदेश का एकमात्र शहर है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के लिए सुरक्षित शहर के रूप में विकसित किया गया है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सभी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों को कंट्रोल रुम से जोड़ा जाएगा. साथ ही पिंक पेट्रोल यूनिट और यूपी 112 इमरजेंसी वाहन मदद के लिए हॉटस्पॉट के पास तैनात किए जाएंगे. कैमरे नंबर प्लेट और वाहनों के पंजीकरण डेटा की जांच करने में सक्षम होंगे. कोई भी असामान्य गतिविधि पैदा होते ही अलर्ट जारी हो जाएगा.
विशेषज्ञों की राय
हालांकि यह कदम नीति विशेषज्ञों और शोधाकर्ताओं का मत इस पर बिल्कुल अलग है. अनुपम गुहा, सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज, आईआईटी बॉम्बे ने इस कदम को संभावित रूप से हानिकारक बताया. कई ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा कि चेहरे के भाव से मनुष्यों मानसिक स्थिति के बारे में कुछ भी अनुमान नहीं लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मशीन लर्निंग के लिए फेशियल डेटा संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन में सूचना के अधिकार की एक वकील ने कहा कि इस कदम से पुलिस द्वारा अनावश्यक उत्पीड़न भी किया जा सकता है.