देहरादून (नेटवर्क 10 संवाददाता)। आज हम बात करेंगे उत्तराखंड में बेरोजगारी की। बेरोजगारी की हालत उत्तराखंड में ये है कि पिछले सात साल में राज्य में बेरोजगारी सात गुना बढ़ गई है। जी हां साल 2003-04 के मुकाबले साल 2019-20 के बीच बेरोजगारी की दर सात गुना बढ़ी है। शायद यही वजह है कि इस बार त्रिवेंद्र सरकार बेरोजगारी पर ही जोरशोर से काम कर रही है। त्रिवेंद्र रावत सरकार इस साल को रोजगार वर्ष के रूप में मना रही है और सरकार ने उत्तराखंड में बेरोजगारी को कहीं हद तक खत्म करने की ठानी है। इसके लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसकी बात हम बाद में करेगे। पहले बात बेरोजगारी की करते हैं।
आंकड़े चौंकाने वाले हैं। आंकड़ों पर गर गौर करें तो उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 14.2 फीदी है। ये खुलासा एनएसओ के सर्वे में हुआ है। केंद्रीय श्रम बल सर्वेक्षण ने जो आंकड़े जारी किए हैं, वो प्रदेश के नियोजन विभाग की सर्वे रिपोर्ट से करीब 3 गुना ज्यादा हैं। साल 2017 में प्रदेश के नियोजन विभाग ने मानव विकास रिपोर्ट तैयार करते समय प्रदेश में बेरोजगारी को लेकर सर्वे किया था। ये रिपोर्ट साल 2019 में जारी हुई। इसके मुताबिक उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर 4.2 बताई गई थी। 2003-04 में ये दर मात्र 2.1 प्रतिशत थी।
इसी रिपोर्ट का एक आंकड़ा और है। इस आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में 45 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो किसी न किसी तरह रोजगार में लगे हुए हैं। इसे कहते हैं वर्क पार्टिसिपेशन। यानि 45 प्रतिशत लोग वर्क पार्टिसिपेशन में हैं, जबकि दूसरा आंकड़ा चौंकाने वाला है। इस आंकड़े के मुताबिक उत्तराखंड में सिर्फ 23 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो काम करते हैं। यानि प्रदेश में कुल 23 प्रतिशत लोग काम करने वाले हैं। इसका मतलब रोजगार वाला काम है।
अब बात जरा खेती से रोजगार पाने वाले लोगों की हो जाए। क्या आप यकीन करेंगे कि खेती से रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या हमारे प्रदेश में ना के बराबर है। जी हां ये आंकड़ा 6 प्रतिशत भी नहीं है। उत्तराखंड में खेती से रोजगार करने वाले लोगों की संख्या सिर्फ 5.98 प्रतिशत है।
हां उद्योग धंधों में रोजगार करने वालों का आंकड़ा थोड़ा ठीक है। उत्तराखंड में उद्योग धंधों में रोजगार का प्रतिशत करीब 31 है। दूसरी तरफ सबसे ज्यादा रोजगार यहां सेवा क्षेत्र से मिला हुआ है। सेवा क्षेत्र में रोजगार का आंकड़ा 63 प्रतिशत के करीब है। तो ये हाल है उत्तराखंड में बेरोजगारी का। बेरोजगार युवक हर साल सरकारी नौकरी पाने के चक्कर में सेवायोजन कार्यालय यानि इंप्लाइमेंट एक्सचेंज में अपना नाम दर्ज करते हैं। हर साल हजारों की संख्या में ये पंजीकरण होते हैं। पिछले साल यानि वित्त वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड में 86 हजार युवाओं ने इंप्लाइमेंट एक्सचेंज में नौकरी पाने के लिए अपना नाम दर्ज कराया।
अब बात करते हैं उत्तराखंड में बेरोजगारी बढ़ने की वजहों की। इसकी सबसे पहली वजह है खेती की जमीन लगातार घटना, उत्तराखंड में खेती की जमीन लगातार घट रही है। जो जमीन है भी वो बंजर पड़ी है। जमीन के बंजर होने के पीछे सबसे बड़ी वजह जंगली जानवर हैं। दरअसल ये खेती को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए लोग खेती से विमुख हो गए हैं।
रोजगार की तलाश में पलायन सबसे बड़ी वजह है। प्रदेश के युवा दूसरे प्रदेशों में पलायन कर जाते हैं। इस वजह से प्रदेश के दूसरे संसाधनों का भी उपयोग नहीं होता।
अगर उत्तराखंड के युवा उत्तराखंड में ही स्वरोजगार शुरू कर दें ये समस्या कहीं हद तक खत्म हो सकती है।
इसके लिए इन दिनों त्रिवेंद्र सरकार लगातार कोशिश कर रही है। स्वरोजगार के लिए हाल ही में मुख्यमंत्री स्वोरोजगार स्कीम शुरू की गई है . इस स्कीम के तहत सभी युवाओं को रोजगार के लिए सरकार लोन दे रही है। इस स्कीम में हर तरह का स्वरोजगार करने के लिए लोन दिया जा रहा है… हम कहते हैं कि युवाओं को इस स्कीम का फायदा जरूर उठाना चाहिए।
इसके अलावा प्रदेश सरकार खाली पड़े सरकारी पदों पर भी भर्ती करने जा रही है। आपको बता दं कि इस समय उत्तराखंड के अलग अलग सरकारी विभागों में 56 हजार पद खाली पड़े हैं। इनमें से आधे यानि 28 हजार पदों पर भर्ती की कोशिश की जा रही है।
एक अच्छी खबर ये भी है कि मुद्रा योजना के तहत राज्य में दो लाख से ज्यादा लोगों को 2877 करोड़ का कर्ज दिया गया है ताकि वे अपना काम शुरू कर सकें।
राज्य में 1.24 लाख करोड़ का नया पूंजी निवेश भी हुआ है, जिससे करीब तीन लाख लोगों को रोजगार मिलने की उम्मीद है।