उत्तराखंड की 13 नदियों के बदलेंगे दिन, पुनर्जीवित करेगी त्रिवेंद्र सरकार

उत्तराखंड में रिस्पना की तर्ज पर  13 नदियों को पुनर्जीवित किया जाएगा। इसके लिए 90 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यह बजट ‘कैंपा’ के फंड से खर्च किया जाएगा। वन विभाग ने केंद्र को मंजूरी के लिए यह प्रस्ताव भेजा है, जहां से इसकी सैद्धांतिक स्वीकृति मिल गई है। वन और श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने बताया कि रिस्पना की तर्ज पर हर जिले में प्रमुख नदियों को मिलाकर कुल 13 नदियों का पुनर्जीवन किया जाना है।

इसके लिए इन नदियों के उद्गम स्थलों से लेकर उत्तराखंड में इनकी सीमा खत्म होने तक दोनों और पौधरोपण किया जाएगा। इसके अलावा चेकडैम समेत कई तरीकों से जल संचय भी किया जाएगा। नदियों में गिरने वाले नालों को भी बंद किया जाना है, ताकि इनमें फिर से पहले की तरह पानी आ सके। दूसरे फेज में इन नदियों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की गतिविधियां भी कराई जाएंगी। इसके लिए 90 करोड़ का बजट कैंपा फंड से खर्च होना है। केंद्र की मंजूरी बिना यह संभव नहीं।

सरकार की योजना: राज्य में खोह, मालन, गंडक, गरुड़गंगा, हेवल, यक्षवती, सुसवा, पिलखर, नंधौर, कल्याणी, भेला, ढेला और बिंदाल नदी को पुनर्जीवन देने के लिए सरकार तैयारी कर रही है।

13 प्रमुख नदियों का पुनर्जीवन और संरक्षण होना है। इसके लिए कैंपा फंड से खर्च के प्रस्ताव को केंद्र से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है। नदियों के पुनर्जीवन के बाद पर्यटन को भी बढ़ावा देने की योजना है।
डॉ. हरक सिंह रावत, वन और श्रम मंत्री

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