बड़े फैसले लेने वाले सीएम रहे त्रिवेन्द्र, ये फैसले रहेंगे हमेशा याद

देहरादून: भले ही सीएम त्रिवेन्द्र को आज इस्तीफा देना पड़ा हो, और वह विरोधियों की राजनीति का शिकार हो गए हों लेकिन उन्होंनने उत्तराखंड के हित में जो फैसले लिए वह हमेशा याद किए जाएंगे। दरअसल राजनीति तथ्यों का खेल नहीं बल्कि परसेप्सन का खेल होता है लेकिन सीएम के रूप में त्रिवेन्द्र ने जो फैसले लिए उत्तराखंड के हित को ध्यान में रखकर लिए। उन्होंने कहीं भी निजी स्वार्थ नहीं देखा। देखें कौन-कौन से फैसले ऐतिहासिक फैसले सीएम त्रिवेन्द्र ने लिए-
घसियारी कल्याण योजना
यह योजना कोई संवेदनशील सीएम ही शुरु कर सकता था। सीएम त्रिवेन्द्र हमेशा कहते थे कि उनको पहाड़ की महिलाओं के सिर से घास का बोझ हटाना है। इसके लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की कैबिनेट ने 25 फरवरी को मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना को मंजूरी दी। इस योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में दूरस्थ ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्रों के पशुपालकों को पैक्ड सायलेज, संपूर्ण मिश्रित पशु आहार (टीएमआर) उनके घर तक पहुंचाया जाएगा। सायलेज उत्पादन एवं विपणन संघ लिमिटेड (एसआइएफइडी) इस योजना को संचालित करेगा। योजना के क्रियान्वयन को अगले वित्तीय वर्ष में 16.78 करोड़ की धनराशि को स्वीकृति दी। योजना का लक्ष्य हासिल करने को मक्के की संयुक्त सहकारी खेती सायलेज, टीएमआर व पशुचारा उत्पादन इकाई की स्थापना एवं पशुपालकों को उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था बनाई गई है। 670 बहुद्देश्यीय सहकारी समितियों, 1000 से अधिक राशन की दुकानों, सहकारी संस्थाओं, पशुपालन विभाग के चारा बैंक व अन्य स्थापित सरकारी विपणन केंद्रों का इस्तेमाल कर कुशल वितरण प्रणाली स्थापित की जाएगी।
कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों को निशुल्क बैग और जूता

त्रिवेंद्र सरकार ने कक्षा 1 से कक्षा 8 तक के छात्रों को निशुल्क बैग और जूता देने की योजना शुरू की है। इसके लिए बजट में 24 करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है। समग्र शिक्षा विभाग के अपर निदेशक मुकुल सती कहते हैं कि सरकार का यह बेहतरीन फैसला है कि छात्रों को निःशुल्क बैग और जूता देने की योजना शुरू की है।
गैरसैंण बनाई ग्रीष्मकालीन राजधानी, घोषित की कमिश्नरी
गैरसैंण राज्य आंदोलन की मूल भावना थी। गैरसैंण प्रतीक है, समूचे पर्वतीय क्षेत्रों के विकास का। इसी भावना और सोच के साथ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण को उत्तराखण्ड की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया। इस वर्ष 4 मार्च को मुख्यमंत्री ने गैरसैंण-भराड़ीसैंण में आयेाजित बजट सत्र के दौरान उत्तराखण्डवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए गैरसैण-भराड़ीसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि गैरसैंण को विश्व की सबसे सुन्दर राजधानी के रूप में विकसित किया जाएगा। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाए जाने के प्रति मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र की गम्भीरता इसी बात से पता चलती है कि 4 मार्च को घोषणा की गई और 8 जून को बाकायदा अधिसूचना जारी कर दी गई। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में नया इतिहास रचा गया। उत्तराखंड के इतिहास में यह पहली बार हुआ, जब स्वतंत्रता दिवस पर किसी मुख्यमंत्री द्वारा गैरसैंण-भराड़ीसैंण में ध्वजारोहण किया गया।

राज्य स्थापना दिवस पर 9 नवम्बर को गैरसैंण में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र में प्रदेश की राजधानी के अनुरूप अवसंरचनात्मक सुविधाओं के विकास के लिए अगले 10 वर्षों में 25 हजार करोड़ रूपए खर्च करने की घोषणा की। साथ ही गैरसैंण राजधानी परिक्षेत्र की कार्ययोजना के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हाईपावर कमेटी का गठन किया गया। राज्य स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 240 करोड़ की महत्वपूर्ण योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। यहां सचिवालय का शिलान्यास किया जा चुका है। पेयजल योजना पर काम चल रहा है। गैरसैण में फाईलों को बड़े पैमाने पर ले जाने की आवश्यकता न पड़े, इसके लिए आईटी का उपयोग करते हुए ई-विधानसभा पर काम किया जा रहा है। बेनीताल में एस्ट्रोविलेज बनाया जाएगा। सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की जाएगी। सड़कों का चौड़ीकरण किया जा रहा है। हैलीपेड बनाया जा रहा है। चाय विकास बोर्ड का मुख्यालय गैरसैंण में बनाया जाएगा। इसके अलावा हाल के बजट सत्र के दौरान इसे मंडल भी घोषित किया।
चार धाम देवस्थानम बोर्ड का विधिवत गठन
राज्य गठन के बाद किया गया सबसे बड़ा साहसिक और ऐतिहासिक फैसला है, देवस्थानम बोर्ड बनाना। 15 जनवरी 2020 को विधिवत रूप से ‘उत्तराखण्ड चार धाम देवस्थानम बोर्ड’ का गठन किया गया। भविष्य की आवश्यकताओं, श्रद्धालुओं की सुविधाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास की दृष्टि से चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें तीर्थ पुरोहित और पण्डा समाज के लोगों के हक हकूक और हितों को सुरक्षित रखा गया है। केदारनाथ जी सहित चारधाम की व्यवस्थाओं में जो सुधार किया उसका