नेटवर्क 10 ब्यूरो, देहरादून । नियम-कायदे तो सिर्फ आमजन के लिए हैं, रसूखदारों के लिए नहीं। यह हकीकत है, जो लॉकडाउन के दरम्यान रविवार को उत्तराखंड में उजागर हुई। उत्तर प्रदेश के विधायक अमनमणि त्रिपाठी अपने लाव-लश्कर के साथ तीन वाहनों पर सवार हो उत्तर प्रदेश की सीमा लांघ तमाम रेड, ऑरेंज जोन पार करते हुए चमोली जिले में पहुंच गए। सिस्टम ने भी उनके लिए रेड कार्पेट बिछाए रखा। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब विधायक और उनके साथी पौड़ी जिले की सीमा से उत्तराखंड में एंट्री करते हैं तो उन्हें पास देहरादून जिले से क्यों और कैसे जारी कर दिया गया।
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के नाम का इस्तेमाल करने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। त्रिपाठी को पास जारी करने के लिए पत्र लिखने वाले एसीएस ओमप्रकाश अब गेंद देहरादून के डीएम के पाले में डालकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में है। एक न्यूज चैनल से एसीएस ने कहा कि पास जारी करने से पहले डीएम को तमाम पहलुओं पर विचार करना चाहिए था।
हैरत यह कि राज्य के चार जिलों से इनके वाहन गुजरे, मगर कहीं भी इन्हें रोका-टोका नहीं गया। जहां से इन्हें वापस लौटाया गया, यदि वहां अधिकारियों से बदसलूकी नहीं होती तो शायद ये आगे भी निकल जाते। यहां भी सिस्टम की दरियादिली सवाल खड़े कर रही है। इन्हें क्वारंटाइन करना तो रहा दूर, इनके खिलाफ कोई मामला तक दर्ज नहीं हुआ। यह भी प्रश्न उठ रहा कि जब बदरीनाथ व केदारनाथ जाने की किसी को इजाजत नहीं है तो फिर इन्हें अनुमति कैसे दी गई। बदरीनाथ के तो अभी कपाट भी नहीं खुले हैं और रावल को भी जाने को अनुमति नहीं मिली थी, विधायक के लिए उसी धाम में जाने को अनुमति जारी कर दी गई।
एक गुंडे विधायक को 11 लोगो के साथ ब्रदीनाथ- केदारनाथ जाने की अनुमति दी जाय तो यह सरकार के खिलाफ भी और अनुमति देने वाले अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश पर कार्यवाही करने के लिए कम बड़ी वजह नही है।अनुमति देने वाले अपर मुख्य सचिव साहब विधायक के सामने इतना गिर गए कि उन्हें ये भी याद नही रहा कि बद्रीनाथ के कपाट अभी तक खुले नहीं है। महामारी के चलते कपाट खुलने तक की तिथि को आगे खिसका दिया गया था। तब इस संकट में यह अनुमति देना पहाड़ के एक बड़े क्षेत्र को संकट में डालने जैसा ही है। केंद्र सरकार को राज्य सरकार की इस कार्यवाही पर तत्काल कार्यवाही करनी चाहिए।- राकेश डंडरियाल, वरिष्ठ पत्रकार