देहरादून: उत्तराखंड में लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले लोहारी गांव ने हमेशा के लिए जल समाधि ले ली है। उत्तराखंड में 120 मेगा वाट की परियोजना के लिए इस गांव को विस्थापित किया गया है। करीब 71 परिवारों वाला लोहारी गांव अब इतिहास के पन्नों में ही पढ़ा और देखा जाएगा। व्यासी बांध का पानी धीरे-धीरे गांव में बढ़ रहा है। ऐसे में लोहारी गांव के ग्रामीण अपनी आंखों के सामने अपने घरों को जलमग्न होता देख रहे हैं और यह देखकर ग्रामीणों के आंसू नहीं रुक रहे हैं।
गांव छोड़ते वक्त लोगों की आंखों में आंसू आ गए। दिलों में गांव से जुड़ी सभी यादें को याद कर मन भावुक हो रहा था कि अब कभी उनका इस गांव में ना आना-जाना हो पाएगा और न ही गांव को कभी देख पायेंगे। अपना बचपन, अपनी जवानी और अपना एक युग गांव के लोग हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि आज वो अपनी जमीन और अपने घर को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हैं। हमारे बच्चे रो रहे हैं। अपनी पैतृक संपत्ति को इस तरह अपनी आंखों के सामने जलमग्न होते हुए देख रहे हैं।
अपने गांव को हमेशा के लिए छोड़ देना कोई छोटा दर्द नहीं होता। गांव के मेले, यहां गांव वालों ने अपनों के साथ बिताए हुए पल और इसी गांव में जन्मे लोग गांव को छोड़ते समय किस तरह से भावुक होंगे इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। न जाने कितनी तरह के सवाल उनके मन में कौंध रहे होंगे। क्योंकि अब वो अपने गांव, घरों को कभी नहीं देख पायेंगे। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर कहा कि विस्थापन की प्रक्रिया पूर्ण होने तक निवास हेतु अस्थाई आवासीय सुविधा मुहैया कराई जाय। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से लोहारी गांव की अतिरिक्त भूमि पर ही विस्थापन कराये जाने का अनुरोध किया, ताकि ग्रामीण स्थानीय लोक संस्कृति एवं रीति रिवाज से जुडे़ रहे।
बता दें सन् 1972 में व्यासी जलविद्युत परियोजना की शुरू हुई थी। 1990 के बाद एक पुल हादसा हुआ था जिसके बाद परियोजना का काम रोक दिया गया था। 2012 में परियोजना का काम फिर से शुरू हुआ। इस परियोजना पर 18 सौ करोड़ का खर्चा आयेगा। इस पर बनने वाले बांध की ऊंचाई 204 मीटर यानी 669 फीट ऊंची है। इस परियोजना की उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट है। यहां पर 100-100 मेगावाट के 3 टरबाइन लगेंगे।