हर सुबह रोज की तरह सोमाया फरूखी और उसकी उम्र की चार और किशोर लड़कियां उसके पिता की कार से ‘कार मैकेनिक शॉप’ जाती हैं। वापसी में वे शहर के बाहरी रास्ते से अपने दफ्तर पहुंचती हैं क्योंकि लॉकडाउन में पोलिस चौकियों को बचाने यही उपाय है।
यहां मैकेनिक की दुकान पर लड़कियों की एक टीम पुराने पार्ट्स से वेंटीलेटर बनाने में जुटी हैं। उनके इस आइडिया और नए मिशन की शोशल मीडिया पर खूब चर्चा है। कार पार्ट्स से वेंटीलेटर बनाने को लेकर 14 वर्षीय फारूखी का कहना है कि अपने इस यंत्र अगर उन्होंने एक भी व्यक्ति की जान बचा ली तो उनके लिए गर्व की बात होगी।
अफगानिस्तान की पहचान एक रूढ़वादी समाज की रही है। एक पीढ़ी पहले यहां तालिबान शासन के दौरान, 1990 के आसपास लड़कियों को स्कूल जाने की अनुमति नहीं थी। फारूखी की मां को तीसरी कक्षा से पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी।
2001 में यहां अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद लड़कियां फिर से स्कूल लौटीं लेकिन अभी भी अपने सामान अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। स्थानय समाचार एजेंसी को एक टेलीफोनिक इंटरव्यू में फारूखी ने बताया, ‘हम नई पीड़ी हैं। हम लोगों के लिए काम कर रही हैं। हमारे लिए लड़का या लड़की होना कोई मायने नहीं रखता।’
अफगानिस्तान में सुविधाओं का घोर अभाव-
अफगानिस्तान लगभग खाली हाथ ही इस महामारी का सामना कर रहा है। 3.6 करोड़ आबादी के बीच मात्र 400 वेंटीलेटर हैं। जबकि अफगानिस्तान में अब कोरोना वायरस के 900 मामले दर्ज किए जा चुके हैं और 30 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन सच्चाई यह है सही आंकड़े इसे कई गुना ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि यहां कोरोना टेस्ट किट्स की काफी कमी है।
हेरात प्रांत पश्चिमी अफगानिस्तान का सबसे बड़ा कोरोना हॉटस्पॉट है। यहीं से अफगानिस्तान में कोरोना शुरू हुआ था।
अफगानिस्तान की यह समस्या देखकर फारूखी और उसकी टीम को परेशान कर दिया। इसी बीच उन्हें कार पार्ट्स से वेंटीलेटर बनाने का आइडिया आया। अब 14 से 17 के उम्र की लड़कियों का यह समूह सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने वाले वेंटीलेटर को बनाने में जुटी हैं।
उनका पिता रोज अपनी कार से उन्हें टीम के दफ्तर छोड़ता है और फिर यहां से वे दूसरी कार से मैकेनिक शॉप जाती हैं। हेरात के नागरिकों को लॉकडाउन में विशेष काम के लिए घर से बाहर जाने की अनुमति है। लेकिन इस रोबोटिक टीम को बाहर जाने के लिए विशेष परमीशन दी गई है।
कार वर्कशॉप पर फारूखी की टीम वेंटीलेटर के दो मॉडलों पर काम कर रही है। जिसमें एक मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का आइडिया है जिसमें टोयाटा के विंडशील्ड वाइपर, बैट्री और बैग वॉल्व का एक सेट या मैन्युअल ऑक्सीजन पंप के इस्तेमाल से वेंटीलेटर तैयार किया जा रहा है। एक मैकेनिक इन लड़कियों वेंटीलेटर बनाने में मदद कर रहा है।
इन लड़कियों की टीम बनाने वालीं औैर उनके लिए चंदा इकट्ठा करने वाली रोया महबूब का कहना है कि यह टीम मई जून तक प्रोटोटाइप वेंटीलेटर बना लेगी। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय को टेस्टिंग के लिए भेजा जाएगा।
आपको बता दें कि फारूखी 2017 में अमेरिका की वर्ल्ड रोबोट ओलंपियाड में भी भाग ले चुकी हैं।