देहरादून: उत्तराखंड में लोकोपायलट की सूझबूझ की वजह से एक बड़ा ट्रेन हादसा टल गया है। ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त करने की अराजक तत्वों की साजिश मंगलवार रात लोको पायलट की सूझबूझ के चलते असफल हो गई। दरअसल, अराजक तत्वों ने डोईवाला से आगे ट्रैक पर करीब 20 फीट लंबा लोहे का पाइप बांधा हुआ था। मंगलवार रात देहरादून से अमृतसर जा रही लाहौरी एक्सप्रेस जैसे ही डोईवाला से आगे निकली, यह पाइप ट्रेन के पहिये में जाकर फंस गया। लोको पायलट ने तत्परता दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगा दिए, जिससे एक बड़ा हादसा होने टल गया। पुलिस ने मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी है।
डोईवाला कोतवाली के प्रभारी राजेश साह ने बताया कि मामले में रेलवे के सीनियर सेक्शन इंजीनियर राकेश चंद ने मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस को दी तहरीर में उन्होंने बताया कि देहरादून-अमृतसर लाहौरी एक्सप्रेस मंगलवार की रात 8:37 पर दून से निकली थी। जैसे ही ट्रेन डोईवाला से आगे रेलवे फाटक संख्या 26 और 27 के बीच से गुजर रही थी तभी ट्रेन के लोको पायलट ने देखा कि रेलवे ट्रैक पर लोहे का भारी-भरकम लंबा पाइप पड़ा है। गनीमत रही कि तब ट्रेन की रफ्तार करीब 35 किलोमीटर प्रतिघंटा थी। जिससे लोको पायलट को इमरजेंसी ब्रेक लगाने के लिए समय मिल गया और एक बड़ा हादसा होने से टल गया। हालांकि, इसके बावजूद लोहे का पाइप ट्रेन के पहिये में फंस गया था। जिससे करीब 40 मिनट तक ट्रेन खड़ी रही।
लोको पायलट ने इसकी जानकारी रेलवे और पुलिस अधिकारियों को दी। जिसके बाद रेलवे, आरपीएफ और जीआरपी के अधिकारी, कर्मचारी तत्काल मौके पर पहुंचे। 40 मिनट की जद्दोजहद के बाद पहिये से पाइप को निकाला जा सका और फिर ट्रेन रवाना हुई। रेलवे अधिकारियों और पुलिसकर्मियों की जांच में यह बात सामने आई है कि अराजक तत्वों ने लोहे का लगभग बीस फीट लंबे पाइप का एक हिस्सा रेलवे ट्रैक से बांधा था। जबकि दूसरा हिस्सा पेड़ की जड़ के बांधा गया था। आशंका जताई जा रही है कि यह ट्रेन को पलटाने की साजिश थी। पुलिस और रेलवे के अधिकारी हर पहलू की बारीकी से जांच कर रहे हैं। उधर, बताया जा रहा है कि इस घटना से कुछ देर पहले ही इस ट्रैक से जन शताब्दी गुजरी थी। लेकिन तब ट्रैक पर कोई पाइप नहीं था।