नैनीताल । जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर हल्द्वानी-नैनीताल हाईवे से महज सात सौ मीटर दूर ऐतिहासिक गांधी मंदिर अब गांधी अध्ययन केंद्र के रूप में भी जाना जाएगा। जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग की पहल पर एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से डेढ़ करोड़ की लागत से इस मंदिर का कायाकल्प कर दिया गया है। आगामी ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन में पर्यटक गांधी अध्ययन केंद्र में गांधी की स्मृतियां देखने के साथ ही यहां से व्यू प्वाइंट से प्राकृतिक सौंदर्य के दीदार भी करेंगे।
प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. अजय रावत के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 14 जून 1929 को नैनीताल आए। उनके साथ कस्तूरबा गांधी, उनके पुत्र देवदास गांधी, सचिव प्यारे लाल, जवाहर लाल नेहरू, आचार्य कृपलानी सुचेता कृपलानी और वह ताकुला पर रहे।
उसी शाम उनका भव्य स्वागत हुआ और विशाल जुलूस निकाला गया। नैनीताल शहर में यह उस दौर का सबसे बड़ा जुलूस था। उनके व्याख्यानों से प्रभावित होकर अधिकतर महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन में सहयोग के लिए अपने आभूषण तथा हजारों रुपये की थैली भेंट की। राष्ट्रपिता गांधी 1932 में भी नैनीताल आए थे। 1929 में ही गांधी जी ने ताकुला में गांधी मंदिर का शिलान्यास किया था। गांधी 18 जून 1931 को भी नैनीताल में शिमला से पहुंचे, तब पांच दिन प्रवास पर रहे थे। इस दौरान राज्यपाल मालकम हेली से मिले।
अब एडीबी के सहयोग से संवारा गांधी मंदिर
गांधी मंदिर ताकुला अब गांधी अध्ययन व शोध केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है। मंदिर व आसपास के सुंदरीकरण का काम फाइनल स्टेज पर है। इसको पर्यटकों व शोध छात्रों के आकर्षण को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जा रहा है। जिला पर्यटन अधिकारी अरविंद गौड़ के अनुसार मंदिर में पांच कमरों में लाइब्रेरी बनाई जाएगी। शौचालय के साथ ही व्यू प्वाइंट भी बनाया गया है। लाइब्रेरी में गांधी से संबंधित साहित्य-दस्तावेज रखे जाएंगे। मंदिर परिसर में गांधी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और गांधी मंदिर से संबंधित इतिहास दर्शाता बोर्ड लगाया जाएगा।