देहरादून। प्रदेश में नए हेलीपैड बनाने के लिए प्रदेश सरकार की नजरें अब केंद्र पर टिकी हुई हैं। कारण यह कि कड़े मानकों के कारण हेलीपैड बनाने में खासी दिक्कतें आ रही हैं। इससे हेली सेवाएं शुरू नहीं हो पा रही हैं। इन मानकों को बदलने के लिए प्रदेश सरकार केंद्र से अनुरोध कर चुकी है। इसके बाद से ही केंद्र के जवाब का इंतजार किया जा रहा है।
प्रदेश में पर्यटन को गति देने के साथ ही स्थानीय लोगों को सस्ती व सुलभ हवाई सेवा मुहैया कराने के लिए लंबे समय से कवायद चल रही है। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में उड़ान सेवा के अंतर्गत 15 स्थानों पर हेलीपैड बनाने को मंजूरी भी प्रदान की है। इन स्थानों पर हेलीपैड बनाने के लिए जमीन चिह्नित करने के साथ विस्तृत डीपीआर भी तैयार की जानी है। कुछ स्थानों पर जमीन चिह्नित कर डीपीआर तैयार कर ली गई है लेकिन यहां हेलीपैड़ नहीं बन पा रहे हैं। दरअसल, हेलीपैड को बनाने में सबसे बड़ा रोड़ा इसके कठिन मानक हैं। इन मानकों में हेलीपैड में सुरक्षा कर्मियों के पूरे दस्ते की तैनाती, यात्रियों के रूकने के लिए मूलभूत सुविधाओं से युक्त एक बड़ा लाऊंज बनाया जाना है। इसके अलावा बड़े गेट और एक फायर स्टेशन का निर्माण शामिल है। इन सुविधाओं को विकसित करने के लिए हेलीपैड के आसपास काफी जमीन भी चाहिए।
प्रदेश में अधिकांश हेलीपैड पर्वतीय क्षेत्रों में बनाए जाने हैं। यहां की भौगोलिक स्थिति कुछ ऐसी है कि इनके लिए बहुत अधिक जमीन नहीं मिल पा रही है। ऐसे में उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विभाग के अधिकारियों ने केंद्र के समक्ष अपनी यह परेशानी रखी और मानकों में शिथिलता देने की मांग उठाई। केंद्र ने प्रदेश सरकार से इसके लिए एक विस्तृत प्रस्ताव भेजने को कहा। इस पर नागरिक उड्डयन विभाग ने तमाम समस्याओं को जिक्र करते हुए मानकों में संशोधन करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा। अब तक उसका जवाब नहीं मिला है। केंद्र की ओर से मानकों में शिथिलीकरण की हरी झंडी मिलने के बाद ही प्रदेश में हेलीपैड बनाने का कार्य शुरू हो सकेगा।