नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन आज लगातार 44वें दिन दिल्ली की सीमाओं पर जारी है. इस बीच आज केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की बैठक हुई. यह बैठक भी बेनतीजा रही. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता की.
इससे पहले, चार जनवरी को हुई वार्ता बेनतीजा रही थी, क्योंकि किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे, वहीं सरकार ”समस्या” वाले प्रावधानों या गतिरोध दूर करने के लिए अन्य विकल्पों पर ही बात करने पर जोर दिया. किसान संगठनों और केंद्र के बीच 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में दो मांगों, पराली जलाने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और बिजली पर सब्सिडी जारी रखने को लेकर सहमति बनी थी.
क्या कहना है सरकार और किसानों का?
सरकार के साथ बातचीत से पहले गुरुवार को हजारों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली. पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है. सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे.
दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी और खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी. विभिन्न विपक्षी दलों और अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने भी किसानों का समर्थन किया है, वहीं पिछले कुछ हफ्ते में कुछ किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से मुलाकात कर तीनों कानूनों को अपना समर्थन दिया है.
अमित शाह की बैठक
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के साथ बैठक से पहले गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों ने कहा कि बैठक करीब एक घंटा चली. हालांकि इस दौरान किन मुद्दों पर बातचीत हुई, यह पता नहीं चल पाया है. अमित शाह ने गुरुवार को भी पंजाब के बीजेपी नेताओं से मुलाकात की थी.